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28 नवंबर 2011

कपास की आवक बढ़ी, आने वाले दिनों में लुढ़केंगी कीमतें

अहमदाबाद November 25, 2011
बाजार में ताजा कपास की भरमार है और विदेशी खरीदारी नहीं हो रही है, लिहाजा हाल के समय में इसकी कीमतें कम हुई हैं। इसके अलावा बाजार के प्रतिभागियों का इस जिंस के बाजार में सन्नाटे का अनुमान है, लिहाजा बंपर उत्पादन के अनुमान के बीच कीमतों में गिरावट आ सकती है। इस साल देश में 360 लाख गांठ कपास के उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले साल 325 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।गुजरात के बाजारों में रोजाना करीब 42,000 गांठ (प्रति गांठ 170 किलोग्राम) कपास की आवक हो रही है, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर कुल आवक 1 लाख से 1.20 लाख गांठ रोजाना है। हालांकि गुजरात समेत कपास के प्रमुख उत्पादक इलाकों में आवक में करीब एक महीने की देरी हुई है और इसकी वजह इस सीजन में मॉनसून के टिका रहना है। लेकिन विदेशी खरीदार इस जिंस की खरीद में काफी सुस्ती बरत रहे हैं, जिसकी वजह से घरेलू बाजार में कपास की कीमतों पर अतिरिक्त दबाव है।गुजरात के बाजारों में कपास की कीमतें 36,200 से 36,500 रुपये प्रति कैंडी (प्रति कैंडी 356 किलोग्राम) हैं, जो जून के 39,000 रुपये प्रति कैंडी के भाव के मुकाबले करीब 10 फीसदी कम है। इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कपास की कीमतों में तेज गिरावट आई है और यह 165-170 सेंट प्रति पाउंड से लुढ़ककर करीब 90-95 सेंट प्रति पाउंड पर आ गई हैं।अहमदाबाद के कपास का कारोबारी अरुण दलाल ने कहा - कमजोर निर्यात और घटती घरेलू मांग के चलते कपास की कीमतों पर भारी दबाव है। अंतरराष्ट्रीय कीमतें भी गिरी हैं, ऐसे में वैश्विक बाजार में भी कपास बेचना कम आकर्षक रह गया है। उन्होंने कहा - अगर ऐसा रुख जारी रहता है तो हम कपास की कीमतें दिसंबर अंत तक 30,000 से 32,000 रुपये प्रति कैंडी के निचले स्तर पर देख सकते हैं। उद्योग के विशेषज्ञों ने कहा कि आवक के दबाव के चलते शुरुआती दौर में कीमतों पर असर पड़ सकता है। कार्वी कॉमट्रेड लिमिटेड की शोध विश्लेषक विमला रेड्डी ने कहा - अल्पावधि में देशी व विदेशी बाजारों में कपास की कीमतें नरम रहने के आसार हैं। घरेलू बाजार में कीमतें घटने का अनुमान है और आईसीई एक्सचेंज पर कीमतें घटने के आसार हैं।हालांकि रेड्डी ने कहा - मौजूदा वर्ष में भारत के लिए बेहतर मौके उपलब्ध होंगे क्योंकि दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राष्ट्र अमेरिका में उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी घटने का अनुमान है। उन्होंने कहा - भारत से निर्यात के बेहतर अवसर हैं क्योंकि प्रमुख उत्पादक देशों के पास शुरुआती स्टॉक काफी कम है, वहीं वैश्विक उत्पादन में 7 फीसदी की बढ़ोतरी के चलते कीमतों पर लगाम लग गया है। उच्च उत्पादन में उजबेकिस्तान, भारत और चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। इस बीच, कीमतों में और गिरावट को थामने के लिए किसान केंद्र सरकार की एजेंसी कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और नेफेड से कपास की खरीद शुरू करने की मांग कर रहे हैं। मुंबई के एक कपास कारोबारी ने कहा - कपास की आवक बढ़ रही है और इस साल हमें बंपर उत्पादन की उम्मीद है, वहीं विदेशी बाजारों में भी सुधार के संकेत नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में अगर कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया कपास की खरीदारी शुरू करता है तो इससे कीमतों में आ रही गिरावट को थामने में मदद मिलेगी।दूसरी ओर सीसीआई ने निकट भविष्य में खरीद शुरू करने का मन अभी नहीं बनाया है। सीसीआई के एक सूत्र ने कहा - हमने अभी कपास की खरीद शुरू नहीं की है और हम यह भी नहीं बता सकते कि खरीद कब शुरू होगी। सरकार द्वारा तय न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुकाबले कपास की कीमतें ज्यादा हैं। शंकर-6 किस्म के कपास की एमएसपी 3150 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है, वहीं मौजूदा बाजार कीमतें करीब 4000 रुपये प्रति क्विंटल हैं। हालांकि विशेषज्ञों ने कहा कि कीमतों में सीमित रह सकती है और यह 30,000 रुपये प्रति कैंडी से नीचे नहीं जाएंगी।गुजरात स्टेट कोऑपरेटिव कॉटन फेडरेशन के प्रबंध निदेशक एन एम शर्मा ने कहा - देर तक हुई बारिश और मौसम की स्थिति ने कपास की पैदावार को नुकसान पहुंचाया है। कपास के पौधे के सही तरीके से विकसित होने के बावजूद पहली बार इससे कपास की तुड़ाई अभी तक संतोषजनक नहीं रही है, ऐसे में इस सीजन में कपास उत्पादन का अनुमान पूरा होना मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा - इस वजह से कीमतें किसी खास स्तर से नीचे नहीं आएंगी और हम उम्मीद करते हैं कि यह 30,000 रुपये प्रति कैंडी से नीचे नहीं जाएंगी।अनुमानों से संकेत मिलता है कि इसकी पैदावार करीब 480 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रहेगी। (BS HIndi)

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