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28 नवंबर 2011

सस्ती कमोडिटी से जगी उम्मीद

ईटीआईजीः अमेरिका की रेटिंग गिरने के बाद दुनियाभर के बाजारों में जो गिरावट देखने को मिल रही है उसका फायदा भारतीय कंपनियों को हो सकता है। दरअसल, बाजार में गिरावट के बाद कमोडिटी की कीमतें भी कम हो रही हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को फायदा होगा। इन दिनों ये कंपनियां कच्चे तेल और दूसरी प्रमुख धातुओं की ऊंची कीमतों के कारण ज्यादा उत्पादन लागत की समस्या से जूझ रही हैं। कमोडिटी कीमतों में आ रही गिरावट से सबसे ज्यादा लाभ में रहने वाले क्षेत्रों में सरकारी तेल मार्केटिंग कंपनियां, कंज्यूमर गुड्स, कंस्ट्रक्शन, ऑटोमोबाइल, पाइप और कैपिटल गुड्स वगैरह शामिल हैं। ईंधन में सब्सिडी के कारण इंडियन ऑयल, बीपीसीएल, एचपीसीएल, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया जैसी कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है। अब कच्चे तेल का भाव करीब 10 महीनों के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। इससे इन कंपनियों अच्छा फायदा होने की उम्मीद है। मंगलवार को आईसीई में ब्रेंट क्रूड का भाव अप्रैल के उच्चतम स्तर (125 डॉलर प्रति बैरल) से 17 फीसदी नीचे आ गया। कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने का फायदा मैन्युफैक्चरिंग, परिवहन और पैकेजिंग क्षेत्रों को भी होगा। ऐसे ही तांबे जैसी आधार धातुओं की कीमतों में कमी आने से कंस्ट्रक्शन, ऑटोमोबाइल, पाइप और कैपिटल गुड्स से जुड़ी कंपनियों को फायदा होगा। बेंचमार्क लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में तांबा, सीसा और जिंक के भाव तीन महीने के निचले स्तर पर पहुंच चुके हैं। ऐसे ही मांग में सुस्ती आने की आशंकाओं के बीच एल्युमीनियम के दाम भी सात महीने के न्यूनतम स्तर पर आ चुके हैं। कच्चे तेल के दाम में आई गिरावट से पाम ऑयल की कीमत भी गिर रही है और यह नौ महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुकी है। आम तौर पर इसका इस्तेमाल साबुन बनाने में किया जाता है। इससे एचयूएल, पीएंडजी और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स जैसी साबुन और डिटरजेंट बनाने वाली कंपनियों को मदद मिलेगी। ऐसे ही गेहूं और चीनी की कीमतों में कमी आने से नेस्ले, ब्रिटानिया और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन कंज्यूमर हेल्थकेयर जैसी कंपनियों को राहत मिलेगी। कमोडिटी की कीमतों में गिरावट से कंपनियों की उत्पादन लागत घटेगी जिसका सीधा फायदा उनके मुनाफे को होगा। हालांकि, कमोडिटी की कीमतों में आई हालिया गिरावट का असर तत्काल देखने को नहीं मिलेगा क्योंकि ज्यादातर कंपनियों के पास इन कमोडिटी का स्टॉक है, जो इन्होंने ऊंचे दाम पर खरीदा था। माना जा रहा है कि कच्चे माल की लागत में आई कमी का आमदनी पर असर मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही से देखने को मिलेगा। वहीं, दूसरी ओर कुछ कंपनियां ऐसी हैं, जिन पर कमोडिटी कीमतों में गिरावट का उलटा असर पड़ेगा। इनमें मेटल बनाने वाली कंपनियां और तेल रिफाइनिंग कंपनियां शामिल हैं। इनमें स्टरलाइट इंडस्ट्रीज (जिंक और सीसा उत्पादन करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी), हिंदुस्तान कॉपर (भारत की सबसे बड़ी तांबा उत्पादक कंपनी) और नाल्को व हिंडाल्को शामिल हैं। (ET Hindi)

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