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07 दिसंबर 2011

पांच माह में सिर्फ 50 हजार टन गेहूं उत्पादों का निर्यात

समय सीमा - निर्यात करने की अवधि 31 मार्च 2012 तक तयकमजोर मांग अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले गेहूं सस्ता होने से निर्यात मांग कमजोरपहली नवंबर को केंद्रीय पूल में 296.71 लाख टन गेहूं का स्टॉकरबी सीजन में गेहूं का उत्पादन 840 लाख टन होने का अनुमानसरकार ने 11 जुलाई को ही 6.5 लाख टन गेहूं उत्पाद निर्यात के को मंजूरी दीकेंद्र सरकार की गेहूं उत्पादों के निर्यात के लिए लंबी अवधि की नीति न होने के कारण निर्यात धीमी गति से ही हो रहा है। जुलाई से अभी तक केवल 45 से 50 हजार टन गेहूं उत्पादों (आटा और मैदा) का ही निर्यात हो पाया है। खाद्य मामलों पर प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता वाले उच्च अधिकार मंत्री प्राप्त समूह (ईजीओएम) ने 11 जुलाई को 6.5 लाख टन गेहूं उत्पादों के निर्यात को मंजूरी दी थी।
रोलर फ्लोर मिलर्स फैडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा ने बताया कि जुलाई से अभी तक केवल 45 से 50 हजार टन गेहूं उत्पादों (आटा और मैदा) का निर्यात हुआ है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम भारत के मुकाबले कम है जबकि निर्यात के लिए सरकार ने 31 मार्च 2012 तक ही समय तय किया है।
ऐसे में विदेशी आयातक लंबी अवधि के आयात सौदे नहीं कर पा रहे हैं। जबकि केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक मौजूद है तथा रबी सीजन में मौसम भी फसल के अनुकूल है। ऐसे में गेहूं का बंपर उत्पादन होने की संभावना है। इसलिए सरकार निर्यात के लिए गेहूं उत्पादों की मात्रा तो तय करें लेकिन समय की पाबंदी समाप्त कर देनी चाहिए।
आरती रोलर फ्लोर इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर बी सी सिंगला ने बताया कि सरकार ने 11 जुलाई को 6.5 लाख टन गेहूं उत्पादों (आटा और मैदा) के निर्यात की अनुमति दी थी तथा निर्यात करने की अवधि 31 मार्च 2012 तक तय की गई है। ऐसे में विदेशी आयातकों को ये पता ही नहीं है कि भारत सरकार मार्च 2012 के बाद गेहूं उत्पादों का निर्यात जारी रखेगी या फिर से रोक लगा देगी।
इससे पहले भी सरकार ने मई 2009 में 6.5 लाख टन गेहूं उत्पादों के निर्यात की अनुमति दी थी तथा निर्यात करने की अवधि 31 मार्च 2011 तक थी। इस अवधि में केवल 1.50 लाख टन गेहूं उत्पादों का ही निर्यात हो पाया था।
प्रवीन कॉमर्शियल कंपनी के डायरेक्टर एन के गुप्ता ने बताया कि गेहूं उत्पादों में इंडोनेशिया, मलेशिया तथा खाड़ी देशों की मांग निकल रही है लेकिन मांग काफी कमजोर है। बंदरगाहों के नजदीक होने के कारण दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें ही थोड़ा-बहुत निर्यात कर पा रही है। दिल्ली में गेहूं के भाव 1,190 से 1,195 रुपये प्रति क्विंटल है।
जबकि आटे का भाव 1,100 से 1,150 रुपये और मैदा का भाव 1,150 से 1,200 रुपये प्रति 90 किलो है। केंद्रीय पूल में पहली नवंबर को 296.71 लाख टन गेहूं का स्टॉक बचा हुआ है जबकि कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में गेहूं का उत्पादन 840 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2010-11 में गेहूं का उत्पादन 859.30 लाख टन का हुआ है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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