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30 दिसंबर 2011

केस्टर सीड की लिवाली से बचना चाहिए निवेशकों को

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली

फंडामेंटल
नए फसल सीजन में पैदावार 25 फीसदी बढऩे की संभावना
उत्पादक मंडियों में पिछले सीजन का भी बकाया स्टॉक
अमेरिका व यूरोप से केस्टर तेल की मांग फिलहाल हल्की
मौजूदा कीमतों में 12-13 फीसदी की गिरावट आने के आसार
आने वाले दिनों में निवेशकों को केस्टर सीड में निवेश से पहले सतर्क रहना चाहिए। फंडामेंटल कमजोर होने के कारण केस्टर सीड वायदा में गिरावट की संभावना बनी हुई है। इस वजह से केस्टर सीड में लिवाली से बचना ही ठीक रहेगा। अच्छा-खासा करेक्शन होने के बाद ही लिवाली से फायदा मिलेगा। वैसे बिकवाली के जरिये सौदा करना फायदेमंद हो सकता है।

नए फसल सीजन में केस्टर सीड की पैदावार लगभग 25 फीसदी बढऩे की संभावना है। जबकि इस समय अमेरिका और यूरोपीय देशों की केस्टर तेल में आयात मांग पहले की तुलना में कम हो गई है। मध्य जनवरी में गुजरात और राजस्थान की उत्पादक मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ जाएगी जिससे मौजूदा कीमतों में 12 से 13 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू सीजन में केस्टर सीड की बुवाई बढ़कर 11.73 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 7.64 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। उत्पादक राज्यों में मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है इसीलिए केस्टर सीड की पैदावार में पिछले साल की तुलना में करीब 25 फीसदी की बढ़ोतरी होने का अनुमान है। वर्ष 2010-11 में केस्टर सीड की पैदावार 11.90 लाख टन की हुई थी।

जयंत एग्रो ऑरनामिक लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक वामन भाई ने बताया कि 15 जनवरी के बाद गुजरात और राजस्थान की मंडियों में नई फसल की आवक शुरू हो जाएगी। पैदावार में बढ़ोतरी को देखते हुए अमेरिका और यूरोप के आयातकों की मांग कम हो गई है। इस समय केवल चीन की खरीद ही आ रही है। चीन के आयातक 1,500 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के आधार पर सौदे कर रहे हैं।

चालू साल के पहले 10 महीनों में 3.35 लाख टन केस्टर तेल का निर्यात हुआ है। जबकि पिछले साल की समान अवधि में 3.75 लाख टन का निर्यात हुआ था। चालू साल के जुलाई-अगस्त में केस्टर तेल का भाव बढ़कर 2,350 से 2,450 डॉलर प्रति टन (एफओबी ) हो गया था।

नेमस्त ट्रेड प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर प्रकाश भाई ने बताया कि चालू सीजन में पैदावार तो बढ़ेगी ही, साथ में उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड का बकाया स्टॉक भी करीब एक लाख बोरी का बचा हुआ है। ऐसे में कुल उपलब्धता पिछले से ज्यादा होगी जबकि चालू साल में कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में कम रहेगा।

इस समय आंध्र प्रदेश की मंडियों में केस्टर सीड की दैनिक आवक आठ से दस हजार बोरियों (एक बोरी-75 किलो) की हो रही है। आंध्र प्रदेश की मंडियों में केस्टर सीड का भाव 3,500 से 3,700 रुपये और गुजरात की मंडियों में 3,900 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। जनवरी के आखिर तक इसकी कीमतों में करीब 500 से 600 रुपये क्विंटल की गिरावट आ सकती है। केस्टर तेल का भाव घटकर 900-905 रुपये प्रति दस किलो रह गया।

नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) पर निवेशकों की मुनाफावसूली से पिछले महीनेभर में केस्टर सीड की कीमतों में 2.8 फीसदी की गिरावट आई है। जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में एक दिसंबर को केस्टर सीड का भाव 4,069 रुपये प्रति क्विंटल था जबकि गुरुवार को भाव घटकर 3,951 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।

कासा कमोडिटी के एग्री विश्लेषक मुन्ना महतो ने बताया कि मौजूदा कीमतों में बिकवाली करके निवेशक मुनाफा कमा सकते हैं। मौजूदा कीमतों में महीनेभर में 10 से 12 फीसदी की गिरावट आने की संभावना है। (Business Bhaskar/ R S Rana)

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