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07 दिसंबर 2011

प्राकृतिक रबर की आपूर्ति घटने के संकेत

कोच्चि December 07, 2011
मांग और आपूर्ति पर प्राकृतिक रबर उत्पादक देशों के संघ (एएनआरपीसी) के ताजा अनुमान से संकेत मिलता है कि साल 2011 में आपूर्ति में 5.6 फीसदी की कमी आएगी जबकि साल 2012 में 3.6 फीसदी। संशोधित अनुमान से पता चलता है कि इस साल (जनवरी से दिसंबर) कुल आपूर्ति 5.6 फीसदी बढ़कर 1.23 करोड़ टन हो जाएगी, लेकिन यह पूर्व में अनुमानित 6 फीसदी से कम होगी और पिछले साल (2010) के 6.6 फीसदी के मुकाबले भी कम रहेगी।एएनआरपीसी के प्रारंभिक अनुमान से संकेत मिलता है कि कीमतों में गिरावट शुरू होने के बाद इस जिंस की आपूर्ति पर असर पड़ा है। आरएसएस-4 किस्म की रबर की कीमतें वैश्विक बाजार में गिरकर 174-175 रुपये प्रति किलोग्राम रह गई हैं जबकि एक महीने पहले यह 185 रुपये पर बिक रहा था। सितंबर में इसकी औसत कीमतें 205 रुपये प्रति किलोग्राम थीं। कीमतों में गिरावट के रुख से रबर के उत्पादन पर भारी असर पडऩे की संभावना है। एएनआरपीसी के सदस्य देशों की तरफ से कुल आपूर्ति (जिसमें सालाना आधार पर पहली तिमाही के दौरान 10.6 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और दूसरी तिमाही में 10.7 फीसदी की) तीसरी तिमाही में घटकर 2.5 फीसदी पर आ गई है और चौथी तिमाही में भी इसके और नीचे यानी 0.6 फीसदी पर आने की संभावना है। एएनआरपीसी ने पाया कि 2010 की आखिरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में प्राकृतिक रबर की आपूर्ति में काफी कमी दर्ज की गई थी और साल 2011 की समान अवधि के लिए इसका अनुमान थोड़ा ऊपर है। यूरो जोन के मौजूदा आर्थिक संकट के चलते ज्यादातर उत्पादक देशों में उत्पादन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। एएनआरपीसी का यह भी अनुमान है कि मौजूदा वर्ष में अक्टूबर-दिसंबर के दौरान निर्यात में 3 फीसदी की गिरावट आएगी।इस बीच, कीमत के मोर्चे पर स्थानीय बाजार की स्थिति थोड़ी बेहतर नजर आ रही है क्योंकि मंगलवार को आरएसएस-4 किस्म की रबर की कीमतें यहां 202 रुपये प्रति किलोग्राम रहीं। पिछली दो तिमाही के दौरान उत्पादन में कमी के चलते बाजार में आपूर्ति की स्थिति असहज है। पिछले कुछ माह से स्थानीय आपूर्ति मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लिहाजा भारत का बाजार अपेक्षाकृत ज्यादा मजबूत है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक, मौजूदा वित्त वर्ष के आखिर में प्राकृतिक रबर की आपूर्ति में करीब 1.5 लाख टन की कमी हो सकती है। भारतीय बाजार के मजबूत होने की यह प्रमुख वजह है।मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान प्राकृतिक रबर के उत्पादन में 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इस दौरान कुल उत्पादन बढ़कर 4,80,700 टन पर पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 4,57,650 टन रबर का उत्पादन हुआ था। वहीं इस अवधि में उपभोग बढ़कर 5,51,425 टन पर पहुंच गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 5,50,230 टन रबर की खपत हुई थी। उत्पादन और खपत के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है और ऐसे में वित्त वर्ष के आखिर में यह अंतर 1.50 लाख टन पर पहुंचने के आसार हैं। पिछले एक साल के दौरान पहली बार देश में प्राकृतिक रबर के भंडार में मामूली गिरावट आई है। 31 अक्टूबर तक कुल 2.47 लाख टन रबर का भंडार था, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 2,53,877 टन रबर का भंडार था। (BS Hindi)

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