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05 दिसंबर 2011

पैदावार में कमी के बावजूद तिल में तेजी नहीं

बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
चालू खरीफ सीजन में देश में तिल की पैदावार में 4.5 फीसदी की कमी आने की आशंका है लेकिन यूरोप और अमेरिका में आर्थिक मंदी के कारण निर्यात आर्डर कम मिल रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले अन्य देशों का तिल सस्ता है। ऐसे में घरेलू बाजार में इसकी मौजूदा कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। धवल एग्री एक्सपोट्र्स के अध्यक्ष सुरेश चंदाराणा ने बताया कि प्रतिकूल मौसम से चालू सीजन में तिल की पैदावार में कमी आने की संभावना है। इस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय तिल का एफओबी भाव 1,200 डॉलर प्रति प्रति टन है जो पिछले साल के लगभग बराबर ही हैं। उधर पाकिस्तान का भाव कम होने के कारण खाड़ी देश पाकिस्तान से आयात कर रहे हैं। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक मंदी का असर भी भारत से तिल के निर्यात पर पडऩे की आशंका है। उन्होंने बताया कि उत्पादक मंडियों में तिल का भाव 1,050 से 1,150 रुपये प्रति 20 किलो चल रहा है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भाव 1,300 से 1,350 रुपये प्रति 20 किलो था। सॉल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू खरीफ में तिल की पैदावार घटकर 4.20 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 4.40 लाख टन का उत्पादन हुआ था। चालू खरीफ में राजस्थान में तिल की पैदावार 1.40 लाख टन, गुजरात में 40,000 टन, मध्य प्रदेश में 50,000 टन, उड़ीसा में 50,000 टन और कर्नाटक में 15,000 टन होने का अनुमान है। देश में तिल की पैदावार खरीफ और रबी दोनों सीजन में होती है। वर्ष 2010-11 में तिल की कुल पैदावार 7.55 लाख टन की हुई थी। एसईए के अनुसार निर्यात और घरेलू खपत को मिलाकर खरीफ सीजन में तिल की कुल मांग 3.50 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में करीब 70,000 टन का बकाया स्टॉक बचने की संभावना है। तिल के थोक कारोबारी समीर भाई शाह ने बताया कि निर्यात के मुकाबले तिल की घरेलू खपत काफी कम होती है। पिछले साल देश से कुल 3.45 लाख टन तिल का निर्यात हुआ था ऐसे में घरेलू बाजार में तिल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मांग के आधार पर ही तय होती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग कमजोर होने के कारण ही पैदावार में कमी के बावजूद घरेलू बाजार में कीमतें पिछले साल से कम है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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