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04 जनवरी 2012

सटोरियों की चाल से सोयाबीन में उछाल

नई दिल्ली January 03, 2012




उत्पादन बेहतर होने पर भाव गिरते हैं, लेकिन वायदा बाजार में सोयाबीन के भाव अच्छी फसल के बावजूद महज 4 कारोबारी सत्रों में 160 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा का इजाफा हो चुका है। पिछले 1 महीने में भाव 17 फीसदी से भी अधिक उछल गए हैं।
कारोबारी इसके लिए वायदा बाजार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कारोबारियों का कहना है कि बड़े स्टॉकिस्टों के पास सस्ते भाव पर खरीदे सोयाबीन का बड़ा भंडार है। 3 बड़ी कंपनियों के पास ही 25 लाख टन सोयाबीन है। सूत्रों के मुताबिक ये स्टॉकिस्ट ही आवक घटा रहे हैं ताकि बाजार में उसकी कमी हो जाए। इससे दाम बढ़ रहे हैं। अर्जेंटीना और ब्राजील में पानी की कमी के कारण सोयाबीन की फसल प्रभावित होने की खबर है। मजबूत डॉलर की वजह से सोया तेल महंगा हुआ है। इन कारणों से भी सोयाबीन के भाव चढ़ रहे हैं।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के संयोजक राजेश अग्रवाल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि वायदा बाजार में सट्टेबाजी से इंदौर में सोयाबीन के भाव 2,530 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज(एनसीडीईएक्स) पर सोयाबीन इंदौर जनवरी अनुबंध 4 सत्रों में ही 2,470 से बढ़कर 2,638 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। 3 दिसंबर को अनुबंध 2,246 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। बकौल अग्रवाल मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में 2-2.5 लाख बोरी (1 बोरी में 100 किलोग्राम ) सोयाबीन आ रहा है।
कमोडिटी इनसाइटडॉटकॉम के जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर के मुताबिक अर्जेंटीना और ब्राजील में पानी की कमी से उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन के भाव महीने भर में ही 11.11 से बढ़कर 12.07 डॉलर प्रति बुशल हो गए हैं। देसी बाजार में भी इसका असर हो रहा है।
सट्टेबाजी रोकने के लिए विशेष मार्जिन लगाए जाने की संभावना पर एनसीडीईएक्स के परिचालन विभाग के कार्यकारी उपाध्यख जयंत मलावडे ने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। ग्वार, ग्वार गम की तेजी से बढ़ रही कीमतों को रोकने लिए एनसीडीईएक्स 2 बार विशेष मार्जिन लगा चुका है।
सरकार के पहले अग्रिम खरीफ अनुमान के मुताबिक 125.72 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हो सकता है, यह पिछले साल के उत्पादन 126.58 लाख टन से मामूली कम है। सोपा के मुताबिक खरीफ सत्र में सोयाबीन का उत्पादन 119 लाख टन होने का अनुमान है। (BS Hindi)

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