कुल पेज दृश्य

04 जनवरी 2012

आभूषण निर्माताओं की होगी नए अमीर ग्राहकों पर नजर

मंदी की आशंका के चलते आभूषण क्षेत्र ने 2012 के लिए तैयारी शुरू कर दी हैं। रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन राजीव जैन ने दिलीप कुमार झा से बातचीत में घरेलू बाजार में बिक्री पर चिंता जताई।पेश हैं बातचीत के अंश : / January 03, 2012




भारत और विदेशों में आभूषण क्षेत्र का प्रदर्शन कैसा है?
हम इस बात से सहमत हैं कि पहले अमेरिका और अब यूरोप में मंदी की मार से इस समय कारोबारी माहौल अनुकूल नहीं है। दुबई के ऋण संकट और पश्चिम एशिया के विभिन्न देशों में अशांति के बाद इस क्षेत्र के बाजारों में स्थिति नहीं सुधरी है। इसके कारण भारतीय विनिर्माता प्रतिस्पर्धी बनने के साथ ही विभिन्न बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहे हैं। हाल ही में हमने चीन और रूस में आक्रामक प्रचार शुरू किया है और भविष्य में अफ्रीका और लैटिन अमेरिका बाजार में प्रवेश करने की भी योजना है।
गिरता रुपया भारत के आभूषण क्षेत्र को कैसे प्रभावित करेगा?
रुपये में गिरावट से घरेलू बाजार में आभूषणों की मांग प्रभावित होगी। हालांकि इसके आयात और निर्यात के सौदे अमेरिकी डॉलर में होने के कारण जब तक कच्चे माल के आयात के लिए इस क्षेत्र को बैंकों से डॉलर में ऋण मिलता रहेगा तब तक हमें दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

इस समय ऊंची मुद्रास्फीति ग्राहकों की जेब में सेंध लगा रही है और उनकी व्यय योग्य आय कम हुई है। इसलिए आभूषण क्षेत्र की वृद्धि दर में बढो़तरी कैसे संभव हो सकेगी?
आभूषण क्षेत्र बहुत ही कठिन दौर से गुजर रहा है, क्योंकि पिछले कुछ समय में सोने-चांदी की कीमतों में 15-20 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। हीरे की कीमतें भी बढ़ी हैं। जबकि ग्राहकों की आय नहीं बढ़ रही है। इसलिए भविष्य में आभूषण क्षेत्र की वृद्धि दर इस बात पर निर्भर करेगी की हम पूरे सेगमेंट को किस तरह लक्षित कर पाते हैं और भारत व चीन के नए अमीर ग्राहकों को अपने उत्पादों की बिक्री कर पाते हैं।

वर्तमान खरीद सीजन के बारे में आपके क्या अनुमान हैं?
अमेरिका में क्रिसमस, नववर्ष और मदर्स डे ज्यादा खराब नहीं रहेगा, क्योंकि वहां हालिया आर्थिक संकट के कारण ग्राहकों का रुझान आभूषणों की तरफ बढ़ा है। वहीं, यूरोपीय बाजार पूरी तरह सुस्त हैं। हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर सुस्त पडऩे के कारण यहां आभूषण बाजार में उदासी छाई हुई है।

क्या आप यह मानते हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में सोने-चांदी की उपलब्धता सुधारने को आयात के लिए ज्यादा मनोनीत एजेंसियों की जरूरत है?
ज्यादा मनोनीत एजेंसियां तब तक इस समस्या का हल नहीं निकाल सकेंगी तब तक इस तरह की मनोनीत एजेंसियां निर्यातकों को सोने-चांदी की आपूर्ति की इच्छा नहीं दिखाती हैं। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: