कुल पेज दृश्य

09 फ़रवरी 2012

खाद्य सुरक्षा कानून के लिये सार्वजनिक वितरण प्रणाली में बदलाव जरुरी: पवार

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार का जनता को खाद्य सुरक्षा गारंटी देने का महत्वकांक्षी कार्यक्रम एक बार फिर सवालों के घेरे में आ गया है.

कृषि मंत्री शरद पवार ने यह कहकर सवाल खड़ा किया कि मौजूदा राशन प्रणाली के ढांचे में बड़ा सुधार किये बिना प्रस्तावित कानून पर पूरी तरह से अमल करना मुश्किल होगा.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने बढ़ते सब्सिडी बोझ को लेकर अपनी चिंता जताई. उन्होंने तो यहां तक कहा कि जब उनका ध्यान बढ़े सब्सिडी बिल की तरफ जाता है तो उनकी रातों की नींद उड़ जाती है. इस साल सरकार का सब्सिडी बोझ अनुमान से कहीं अधिक बढ़कर 2.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच जाने की आशंका बनी है. खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अपनी बात रखते हुये उन्होंने कहा कि लागू होने पर यह दुनिया का सबसे बड़ा सब्सिडीयुक्त खाद्य वितरण कार्यक्रम होगा.

पवार और मुखर्जी दिल्ली में बुधवार 8 फरवरी को शुरु हुये दो दिवसीय लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली और भंडारण पर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के खाद्य एवं कृषि मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.

पवार ने कहा, ‘‘मैं अपना कर्तव्य निभाने में असफल रहूंगा यदि में इस बात पर जोर नहीं देता कि खाद्य सुरक्षा कानून को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के मौजूदा ढांचे के ज़रिये ही लागू करने का प्रयास किया गया तो हम कभी भी इसके पूर्ण लक्ष्य पाने को हासिल करने सफल नहीं हो पायेंगे.’’

राशन व्यवस्था में बदलाव
प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा कानून के जरिये देश की 63.5 प्रतिशत आबादी को राशन की दुकानों के जरिये सस्ता राशन दिये जाने का कानूनी अधिकार दिया जायेगा. पवार का मानना है कि इतने बड़े खाद्य वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये राशन व्यवस्था व्यापक बदलाव किये जाने की आवश्यकता है. पवार संप्रग सरकार के महत्वपूर्ण घटक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख हैं.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करने की दिशा में पहल करके सरकार ने एक बहुत बड़ी जवाबदेही अपने हाथ में ली है. लेकिन इस दौरान उन्होंने बढ़ती जनसंख्या, पानी की घटती उपलब्धता और बढ़ती सब्सिडी को लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की. उन्होंने कहा, ‘‘देश की आबादी 1.2 अरब से ऊपर निकल चुकी है. हर साल ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या के बराबर लोग इसमें जुड़ जाते हैं, पानी की उपलब्धता भी सीमित हो रही है, इससे सिंचाई सुविधाओं पर दबाव बढ़ रहा है. ऐसे में यह बड़ी चुनौती हमारे सामने है.’’

खाद्य एवं उपभोक्ता मामले मंत्री के वी थॉमस से पवार की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जो कुछ उन्होंने कहा है वह गलत नहीं है. हमें कानून लागू करने के लिये मजबूत वितरण प्रणाली की आवश्यकता है.’’

खाद्य सुरक्षा विधेयक संप्रग की अध्यक्ष सोनिया गांधी की पहल पर लाया गया है. विधेयक संसद में पेश कर दिया गया है और खाद्य मामलों पर संसद की स्थायी समिति विधेयक पर विचार कर रही है. (Samay Live)

कोई टिप्पणी नहीं: