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29 मार्च 2012

एथेनॉल की होगी कमी!

पेट्रोल में अनिवार्य रूप से 5 फीसदी मिश्रण के लिए एथेनॉल की भारी कमी हो सकती है। कारण कि देश की चीनी मिलें एथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल औद्योगिक व पीने योग्य शराब उत्पादन के लिए दे रही हैं।
देश की चीनी मिलों में अब तक 236.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है। लिहाजा, मौजूदा सीजन में एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) का उत्पादन 240 करोड़ लीटर होने का अनुमान है। ईएनए का इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर एथेनॉल के साथ-साथ अल्कोहल यानी शराब उत्पादन में होता है। डॉ. सौमित्र चौधरी की अगुआई में योजना आयोग ने पेट्रोल में पांच फीसदी एथेनॉल के अनिवार्य मिश्रण की सिफारिश की है और आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने भी इसे मंजूर किया है। तेल विपणन कंपनियां मौजूदा सीजन में जनवरी-फरवरी में 101 करोड़ लीटर एथेनॉल की खरीद के लिए टेंडर जारी कर चुकी हैं। पर यह अभी तक पूरा नहीं हो पाया है क्योंकि सरकार ने हरित ईंधन की कीमतों में इजाफे का फैसला नहीं किया
है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने एथेनॉल की कीमत मौजूदा 27 रुपये प्रति लीटर के मुकाबले 34-35 रुपये प्रति लीटर करने को मंजूरी दी है। लेकिन सरकार ने इसे अधिसूचित नहीं किया है।
एथेनॉलइंडिया डॉट नेट के चीफ कंसल्टेंट दीपक देसाई ने कहा, 'हम ऐसे मुकाम की ओर बढ़ रहे हैं जहां आने वाले महीने में एथेनॉल शायद ही उपलब्ध हो पाएगा। चूंकि एक्स्ट्रा न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) चीनी उत्पादन के दौरान स्वत: ही तैयार होता है और इसका इस्तेमाल कच्चे माल के तौर पर एथेनॉल उत्पादन में होता है। देसी-विदेशी शराब विनिर्माताओं के बीच इसकी भारी मांग है, लेकिन इस सीजन में इसकी आपूर्ति काफी कम रह सकती है। पिछले साल चीनी मिलों ने सरकार के सामने 610 लाख लीटर एथेनॉल बेचने का प्रस्ताव रखा था, जिसमें से 58 करोड़ लीटर पर ही अंतिम रूप से मुहर लग पाई। दिलचस्प रूप से तेल विपणन कंपनियों ने चीनी मिलों से 47 करोड़ लीटर एथेनॉल खरीद का अनुबंध किया। इसका मतलब यह हुआ कि तेल विपणन कंपनियां इसकी खरीद नहीं कर पाएंगी। इस साल परिस्थितियां थोड़ी अलग हैं। एथेनॉल की कीमत पर सरकार के फैसला नहीं लेने से तेल विपणन कंपनियों ने अभी इसकी खरीद शुरू नहीं की है। एक ओर जहां उद्योग इस सीजन में इसकी कीमत 34 रुपये प्रति लीटर करने की मांग कर रहा है, वहीं रसायन मंत्रालय ऐसा नहीं चाहता और इसने 27 रुपये प्रति लीटर पर खरीद का सुझाव दिया है। इस बीच, तेल विपणन कंपनियां मिश्रण के लिए इसकी खरीद से संकोच कर रही हैं।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महासचिव अविनाश वर्मा ने कहा कि शराब उद्योग में ईएनए की बिक्री एथेनॉल के मुकाबले 9 रुपये प्रति लीटर ज्यादा में होती है। ऐसे में चीनी मिलों के लिए बेहतर है कि वे ईएनए की बिक्री शराब विनिर्माताओं को करे। खास तौर पर उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें ज्यादा कीमत हासिल करने के लिए ईएनए व शीरे की आपूर्ति पश्चिमी देशों को कर रही हैं, जो देसी बाजार के मुकाबले बराबर या कभी-कभी ज्यादा भी होता है।
चीनी उद्योग और एथेनॉल विनिर्माता इसकी आपूर्ति पिछले 18 महीने से 27 रुपये की दर पर कर रहे हैं जबकि शीरे से तैयार होने वाला वैकल्पिक उत्पाद 34-35 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा पर बिक रहा है। ऐसे में एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम के हक में यह है कि एथेनॉल विनिर्माता सरकार द्वारा इसकी कीमतों में बढ़ोतरी और इसकी कीमत का जुड़ाव पेट्रोल की कीमतों के साथ करने की उम्मीद में घाटा सहना जारी रखें, अन्यथा यह कार्यक्रम पूरी तरह विफल हो सकता है। (BS Hindi)

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