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08 मई 2012

गेहूं के केंद्रीय पूल से निर्यात अनुमति देने की योजना

आर.एस. राणा नई दिल्ली 
सरकारी गोदामों से गेहूं के बंपर स्टॉक को हल्का करने के लिए सरकार केंद्रीय पूल से इसके निर्यात की अनुमति देने की योजना बना रही है। निर्यात सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से होगा और इसकी मात्रा भी तय की जाएगी।

खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केंद्रीय पूल से सार्वजनिक कंपनियों एसटीसी, एमएमटीसी और पीईसी को गेहूं निर्यात की अनुमति दिए जाने की योजना है। शुरू में 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की अनुमति दी जायेगी। स्थिति को देखते हुए इसमें और बढ़ोतरी की जा सकती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले यूक्रेन, रूस और ऑस्ट्रेलिया का गेहूं सस्ता है। ऐसे में सार्वजनिक कंपनियों को बंदरगाह पहुंच गेहूं की डिलीवरी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दिए जाने की योजना है।

सरकार ने सितंबर 2011 में गेहूं निर्यात पर रोक हटाई थी तथा निर्यातकों को खुले बाजार से गेहूं खरीद कर निर्यात की अनुमति दी हुई है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय गेहूं महंगा होने के कारण सितंबर से अभी तक 7.2 लाख टन का ही निर्यात हो पाया है। एमसंस इंटरनेशनल लिमिटेड के सलाहकार टी.पी.एस. नारंग ने बताया कि भारतीय गेहूं का भाव बांग्लादेश पहुंच 280 से 299 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) है जबकि ऑस्ट्रेलिया के गेहूं का भाव 265-270 डॉलर, यूक्रेन का 275 डॉलर और रूस का 270-280 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) है।

केंद्रीय पूल में पहली अप्रैल को 534.36 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक था, इसमें करीब 200 लाख टन गेहूं है। चालू रबी विपणन सीजन में अभी तक करीब 228 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हो चुकी है और लक्ष्य 318 लाख टन का है। खुले बाजार में गेहूं का दाम एमएसपी से कम है इसीलिए सरकारी खरीद केंद्रों पर ज्यादा गेहूं जा रहा है। ऐसे में सरकारी खरीद 335 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। चालू रबी में 902.3 लाख टन गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। 
(Business Bhaskar.....R S Rana)

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