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26 मई 2012

नहीं होगी जूट बोरियों की किल्लत

कोलकाता । मांग बढ़ने से देश में फिलहाल जूट बोरे की जो फौरी किल्लत है, उसे जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। इसके लिए बांग्लादेश से बोरियों के आयात की नौबत नहीं आएगी। यह दावा जूट मिलों के संगठन इंडियन जूट मिल एसोसिएशन [इज्मा] ने किया है। जूट आयुक्त का भी कहना है कि बोरियों की किल्लत दूर करने में देश की जूट मिलें सक्षम है।
इज्मा के अध्यक्ष मनीष पोद्दार का कहना है कि रबी खरीद सीजन से पहले राज्यों ने अनाज खरीद का जो अनुमान लगाया था, केंद्र सरकार ने उसी अनुपात में 9.05 लाख गांठ [एक गांठ में 500 बोरियां] जूट बोरियों की खरीद का लक्ष्य रखा था। मगर गेहूं की बंपर पैदावार को देखते हुए राज्यों ने खरीद का लक्ष्य बढ़ा दिया है। अब यह लक्ष्य बढ़कर 12 लाख गांठ हो गया है। जूट मिलें करीब 9.50 लाख गांठों की आपूर्ति कर चुकी है। मई के अंत तक और दो लाख गांठों की आपूर्ति किए जाने की उम्मीद है, जबकि 10 जून तक शेष की भी सप्लाई कर दी जाएगी।
पोद्दार के मुताबिक राज्यों की ओर से, खासकर मध्य प्रदेश के गलत आकलन के कारण ऐसे हालात पैदा हुए हैं। मध्य प्रदेश ने शुरुआत में करीब डेढ़ लाख गांठ दी जरूरत का अनुमान लगाया था। बाद में उसने इसे दोगुना कर तीन लाख गांठ पहुंचा दिया। जूट आयुक्त अत्रि भंट्टाचार्य के मुताबिक प्लास्टिक बोरियों पर प्रतिबंध के चलते भी जूट बोरों की मांग लगातार बढ़ रही है। चालू वर्ष में धान के बाद अब गेहूं, दाल और चीनी का उत्पादन भी बढ़ा है। इसके चलते जूट बोरे की मांग बढ़ गई है। इसके अलावा हैंड बैग की घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मांग तेजी से बढ़ रही है।
सरकार को सालाना 25 लाख टन जूट उत्पादों की आवश्यकता होती है, जबकि देश के जूट मिलों की उत्पादन क्षमता करीब 31 लाख टन है। जूट की पैदावार में लगभग सात फीसद की बढ़ोतरी के बावजूद इन दिनों न सिर्फ किसान बल्कि सरकार को भी बोरे की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते गेहूं खरीद प्रभावित हो रही है। आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार बांग्लादेश से आयात के अलावा प्लास्टिक की बोरियों को भी इस्तेमाल करने की छूट देने का विकल्प भी आजमा सकती है। (Jagran)

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