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26 मई 2012

तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की कवायद

कृषि मंत्रालय नई पंचवर्षीय योजना अवधि 2012-17 के दौरान पाम तेल और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए एक अलग अभियान शुरू करेगा।
इस योजना से जुड़े एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, 'उत्पादन से संबंधित अनुमान के मुताबिक जहां तिलहनों की आंतरिक आपूर्ति तकरीबन 3.85 करोड़ टन है, वहीं मोटे तौर पर मांग लगभग 5.9 करोड़ टन की है। मांग और आपूर्ति के बीच यह भारी अंतर फिलहाल आयात के जरिये पाटा जा रहा है, जिसका खामियाजा सरकारी खजाने को उठाना पड़ रहा है। इसलिए पाम तेल और तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए फिलहाल जितनी योजनाएं चल रहीं हैं, उन सभी को मिलाकर एक नया अभियान 'नैशनल मिशन ऑन ऑयल सीड्स ऐंड पाम ऑयल' शुरू किया जाएगा।'
सूत्रों का यह भी कहना है कि पाम ऑयल और तिलहन उन चुनिंदा फसलों में शामिल हैं, जिन्हें बढ़ावा देने के लिए अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। दूसरे मामलों में फसलों के लिए तमाम मौजूदा एकल योजनाओं और प्रौद्योगिकी से संबंधित अभियानों का प्रमुख अभियान 'राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई)' के तहत संबंधित कार्यक्रमों में विलय कर दिया जाएगा। सूत्रों ने स्पष्ट किया कि अब तेल और तिलहनों के उत्पादन को बढ़ावा देने का काम केंद्र सरकार की ओर से प्रायोजित तिलहन, दालें, पाम तेल और मक्का (आइसोपॉम) के लिए एकीकृत कार्यक्रम के तहत किया जाएगा। यह प्रौद्योगिकी से संबंधित अभियान है, जो 2004 से चल रहा है। इसके अलावा रागी और बाजरे जैसे मोटे अनाज समेत मक्का को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रमों का राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान (एनएफएसएम) में विलय किया जाएगा, जिसके दायरे में चावल, गेहूं और दालें आती हैं। (BS Hindi)

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