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04 जुलाई 2012

पीएमओ ने की पीडीएस में सुधार की समीक्षा

खाद्य सुरक्षा कानून को अमली जामा पहनाने से पहले प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंगलवार को एक बैठक में जनवितरण प्रणाली के कंप्यूटरीकरण में हुई प्रगति, इसमें होने वाली गड़बडिय़ों के साथ-साथ भंडारण, अनाज के परिवहन के मुद्दे की समीक्षा की। खाद्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, पीएमओ को देश भर में पीडीएस के कंप्यूटरीकरण की प्रगति की जानकारी दी गई और यह भी बताया गया कि राज्य इस मामले में क्या कर रहे हैं। प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पृष्ठभूमि में यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस कानून केतहत देश की 65 फीसदी आबादी को सस्ते अनाज मुहैया कराने की गारंटी दी जाएगी। यह अधिनियम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की महत्वाकांक्षी परियोजना है और संप्रग सरकार अगले आम चुनाव से पहले इसे लागू करने की कोशिश में जुटी हुई है। पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने 2012-13 के बजट भाषण में हालांकि हर तरह की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञों को लगता है कि राजकोषीय स्थिति को देखते हुए इस साल इस कार्यक्रम को लागू करना सरकार के लिए काफी मुश्किल होगा। अगर इसे लागू किया गया तो सरकार का सालाना सब्सिडी बोझ 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है जबकि अभी यह 75,000 करोड़ रुपये है। अधिकारियों ने कहा कि यह बैठक और भी महत्वपूर्ण इसलिए हो गई क्योंकि खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने हाल में संसद में कहा था कि देश में जन वितरण प्रणाली के तहत 20 करोड़ लाभार्थी हैं और इनमें से 2 करोड़ फर्जी राशन कार्ड धारक पाए गए हैं। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन साल 2005 में अनुमान लगाया गया था कि ऐसे 40 फीसदी अनाज लक्षित लोगों तक नहीं पहुंच पाते। हालांकि राशन कार्ड धारकों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है और ट्रकों में जीपीएस लगाकर अनाजों की आवाजाही की निगरानी भी की जा रही है। छत्तीसगढ़ जैसे राज्य पहले ही कई कदम उठा चुका है और इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। केंद्र चाहता है कि दूसरे राज्य भी छत्तीसगढ़ की कार्यप्रणाली को अपनाए। जीपीएस की निगरानी व्यवस्था का यह भी फायदा है कि राशन की दुकानों को अनाज की सुपुर्दगी के बाद हकदार लोगों को एसएमएस के जरिए इसकी सूचना दी जा सकती है। (BS Hindi)

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