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21 जुलाई 2012

अब आपात योजना की तरफ बढ़े कदम

देश के कई इलाकों में मॉनसून के निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने आपात योजना की तरफ कदम बढ़ा दिया है। कृषि मंत्रालय के बाद अब नैशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी (एनआरएए) ने कम बारिश की स्थिति से निपटने के लिए शुक्रवार को राष्ट्रव्यापी आपात योजना जारी की। इस योजना में उत्तर, मध्य और पश्चिम भारत पर खास तौर से ध्यान केंद्रित किया गया है। एनआरएए एक सलाहकार निकाय है और इस संस्था के पास बारिश पर आश्रित इलाकों में पैदा होने वाली समस्या का समाधान मुहैया कराने की जिम्मेदारी है. इस योजना के तहत कम अवधि में परिपक्व होने वाली फसलों, उत्तर भारत में नहर के पानी का समझदारी से इस्तेमाल, बुआई के वैकल्पिक पैटर्न और जानवरों के लिए चारे की खेती पर ध्यान केंद्रित किया जाना शामिल है। एनआरएए ने कहा है - रोजाना के बारिश के आंकड़ों से पता चलता है कि अब तक दक्षिण पश्चिम मॉनसून सिर्फ 6 दिन ही सामान्य से बेहतर रहा है जबकि दो दिन सामान्य बारिश हुई है और करीब 35 दिन बारिश में कमी दर्ज की गई है। इसने कहा है कि महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यह योजना सभी राज्यों के साथ साझा की जाएगी, ताकि वे सूखे के चलते फसलों को होने वाले नुकसान से बचने के लिए आपात योजना बना सकें। साथ ही एनआरएए ने खरीफ सीजन के बाद रबी की फसल को बचाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सूची बनाई है। एनआरएए की आशावादिता कृषि विभाग के अफसरों के साथ भी साझा की जाएगी और भारतीय मौसम विभाग के साथ भी। वास्तव में मौसम विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा - अरब सागर में बादलों का निर्माण बेहतर नहीं हो पा रहा है, जिसकी वजह से केंद्रीय, उत्तरी और पश्चिमी भारत में सामान्य से कम बारिश हुई है। जुलाई में हमें उम्मीद थी कि कम से कम 15 जुलाई तक सामान्य बारिश होगी, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस साल ज्यादातर बारिश बंगाल की खाड़ी में हुए बादलों के निर्माण से हुई है, लेकिन अरब सागर में बादलों की स्थिति अभी तक कमजोर रही है। मौसम विभाग दक्षिण पश्चिम मॉनसून के तीसरे चरण की भविष्यवाणी इस महीने जारी कर सकता है। हालांकि आधिकारिक रूप से ज्यादातर अधिकारी भविष्यवाणी के मामले में सख्ती बरत रहे हैं, लेकिन कुछ का कहना है - ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पूरे सीजन में बारिश का कुल अनुमान सामान्य के मुकाबले सामान्य से नीचे किया जा सकता है। बारिश को सामान्य तभी वर्गीकृत किया जाता है जब दक्षिण पश्चिम मॉनसून 50 साल के औसत का 95 फीसदी से ज्यादा हो। 22 जून में जारी अपने दूसरे पूर्वानुमान में मौसम विभाग ने दक्षिण पश्चिम मॉनसून लंबी अवधि के औसत का 96 फीसदी रहने की बात कही थी, हालांकि इसमें 4 फीसदी की कमी या अधिकता की बात भी शामिल थी। हालांकि आज की तारीख तक दक्षिण पश्चिम मॉनसून देश भर में सामान्य से 22 फीसदी कम रहा है और सबसे ज्यादा झटका उत्तर पश्चिम, केंद्रीय और दक्षिण भारत को लगा है। जुलाई में बारिश सामान्य से 13 फीसदी कम रहा है। एक अधिकारी ने कहा - कुछ ऐसे मॉडल हैं जो बताते हैं कि इस साल भारत में बारिश सामान्य से कम रहेगी और अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले हम उन सभी मॉडलों पर नजर डालेंगे। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि अल नीनो का खतरा काफी हद तक कम हो गया है। इस साल सामान्य से कम बारिश को देखते हुए इस हफ्ते की शुरुआत में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खाद्यान्न के भंडारण और स्टॉक की स्थिति की समीक्षा की थी। सरकार गेहूं, चावल, चीनी और कपास के निर्यात पर लगाम कसने पर भी विचार कर रहा है और इसका फैसला अगस्त के पहले हफ्ते में हो सकता है। (BS Hindi)

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