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31 अगस्त 2012

चीनी निर्यात में डिफॉल्टर हो सकते हैं निर्यातक

30,000 रुपये प्रति टन चीनी के घरेलू भाव थे निर्यात सौदों के समय 35,000 रुपये प्रति टन भाव होने के बाद निर्यात में बेरुखी भारतीय बाजारों में चीनी के दाम बढऩे के बाद पांच लाख टन से ज्यादा चीनी निर्यात में निर्यातक डिफॉल्टर हो सकते हैं। कारोबारी सूत्रों ने कहा है कि घरेलू बाजार में चीनी महंगी होने के बाद निर्यातक सौदे रद्द कर रहे हैं क्योंकि खरीदारों को ब्राजील और थाईलैंड में सस्ती चीनी मिल रही है। मुंबई में एक ग्लोबल ट्रेडिंग कंपनी के डीलर ने बताया कि अप्रैल से मध्य जुलाई तक बड़ी मात्रा में भारतीय चीनी निर्यात के सौदे हुए थे। उस दौर में घरेलू बाजार में चीनी के दाम करीब 30,000 रुपये (539.5 डॉलर) प्रति टन थे। उस समय निर्यातकों को करीब 2,000 से 2500 रुपये प्रति टन मुनाफा मिल रहा था। लेकिन आज के हालात में निर्यात करने का कोई तुक नहीं है क्योंकि घरेलू बाजार में मिलें 35,000 रुपये प्रति टन के भाव पर चीनी बेच रही हैं। ऐसे में निर्यात कम भाव पर चीनी निर्यात करने की इच्छुक नहीं है। डॉलर में चीनी का घरेलू भाव करीब 629.50 डॉलर प्रति टन बैठ रहा है। मौजूदा सीजन 2011-12 में भारत से 32 लाख टन चीनी का निर्यात हो चुका है। पिछले साल 26 लाख टन निर्यात हुआ था। बदलते हालात में आयातक भी भारत से चीनी खरीद के इच्छुक नहीं है क्योंकि उन्हें थाईलैंड और ब्राजील से बेहतर क्वालिटी की सस्ती चीनी मिल रही है। लंदन के लिफ्फे एक्सचेंज में व्हाइट शुगर करीब 556 डॉलर प्रति टन के भाव पर बिक रही है। मुंबई के एक डीलर ने बताया कि महाराष्ट्र की एक चीनी मिल ने हाल में 27,000 टन चीनी निर्यात का सौदा रद्द किया है। निर्यात सौदा रद्द करने पर सरकार निर्यातकों पर जुर्माना लगाती है ताकि वे वायदा सौदे न करें। लेकिन बाजार के मौजूदा हालात निर्यातकों को सौदे रद्द करने से रोक नहीं सकते हैं। एक डीलर ने यह भी कहा कि सरकार अभी तो कुछ नहीं करेगी लेकिन दो-तीन माह बाद निर्यात शर्तों में रियायत दे सकती है। इस साल मानसून कमजोर रहने के कारण सरकार चीनी उत्पादन को लेकर आश्वस्त नहीं है। अगर निर्यात कम होता है तो यह सरकार के लिए अच्छा होगा क्योंकि इससे घरेलू बाजार में सुलभता बढ़ेगी और भाव पर अंकुश लगेगा। (Business Bahskar)

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