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24 अगस्त 2012

चंचल मॉनसून ने रोका कपास उपज का आकलन

पश्चिम भारत के प्रमुख कपास उत्पादक इलाकों में सूखे को देखते हुए कपास सलाहकार बोर्ड ने गुरुवार को साल 2012-13 के लिए कपास उत्पादन अनुमान जाहिर करने से परहेज किया। कपास का कुल रकबा घटकर 110.3 लाख हेक्टेयर रह जाने का अनुमान है। बैठक के बाद कपड़ा आयुक्त ए बी जोशी ने कहा - अगले सीजन के लिए उत्पादन अनुमान पर हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए। सीएबी के मुताबिक, सबसे बड़े उत्पादक राज्य गुजरात में कमजोर मॉनसून के चलते कपास के रकबे में गिरावट आई है। जोशी ने कहा कि सौराष्ट्र इलाके में कम बारिश हुई है, साथ ही अब वहां और बुआई नहीं होगी। महाराष्ट्र के 100 तालुकों में सूखा घोषित किया गया है, लेकिन जलगांव प्रभावित नहीं हुआ है, वहीं विदर्भ में फसल बेहतर है। यहां कपास का कुल रकबा पिछले साल के बराबर रहने की संभावना है। कपास वर्ष 2011-12 के लिए देश में 353 लाख गांठ कपास उत्पादन की संभावना है जबकि इससे पूर्व वर्ष में 347 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। इस कपास वर्ष में 127 लाख गांठ कपास के निर्यात का अनुमान है जबकि पिछले साल 76 लाख गांठ कपास का निर्यात हुआ था। अब तक 126 लाख गांठ का निर्यात हो चुका है। चूंकि सीएबी ने उत्पादन का अनुमान जाहिर नहीं किया, लिहाजा इसने निर्यात का अनुमान जाहिर करने से भी परहेज किया। सूत्रों का कहना है कि अगर अनुमान के मुताबिक उत्पादन में बड़ी गिरावट आती है तो कपास को ओजीएल से बाहर किया जा सकता है। मौजूदा कपास वर्ष में देश में कपास का आयात 140 फीसदी ज्यादा रहने की संभावना है। इस साल कीमतों में अंतर के चलते भारत ने गैर-पारंपरिक किस्म की कपास का आयात किया है। जोशी ने कहा कि वैश्विक बाजार के मुकाबले भारत में कीमतें चार से छह सेंट ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि अगले कुछ महीने तक आयात जारी रहेगा। उधर रॉयटर्स ने कहा है कि चीन ने कपड़ा मिलों के लिए 4 लाख टन और कपास आयात का अतिरिक्त कोटा आवंटित किया है ताकि मिलों को वैश्विक स्तर पर और ज्यादा सस्ती आपूर्ति का फायदा मिले। (BS Hindi)

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