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27 अगस्त 2012

अब सितंबर की बारिश पर टिकी नजरें

जून और जुलाई में दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश में कमी और अगस्त में सामान्य के करीब रहने के बाद सितंबर की बारिश (चार महीने के मॉनसून सीजन का आखिरी महीना) का महत्व काफी ज्यादा बढ़ गया है। आमतौर पर सितंबर के दौरान बारिश की तीव्रता घट जाती है और इस महीने में सीजन की कुल बारिश का महज 10-20 फीसदी होता है। हालांकि कुछ वर्षों में इस पैटर्न के अपवाद भी देखने को मिले हैं। सितंबर की बारिश रबी की बुआई के लिए अहम है क्योंकि मॉनसून सीजन के आखिर में अच्छी बारिश रबी फसलों के लिए मिट्टी में पर्याप्त नमी छोड़ जाती है। साथ ही यह देश के जलाशयों के लिए महत्वपूर्ण है, जो रबी सीजन (अक्टूबर-नवंबर से फरवरी) के दौरान उत्तर भारत में न सिर्फ सिंचाई के लिए बल्कि पेयजल और बिजली उत्पादन के लिए भी अहम है। असल में साल 2009 के सूखे के दौरान सितंबर की बारिश अगस्त के मुकाबले बेहतर रही थी, जिसने खरीफ की पैदावार में हुए नुकसान की काफी हद तक भरपाई में मदद की थी। साथ ही रबी की पैदावार भी बेहतर रही थी। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक, साल 2009 के दौरान सितंबर में सामान्य के मुकाबले 20.2 फीसदी कम बारिश हुई थी, जो अगस्त में सामान्य के मुकाबले 26.5 फीसदी कम बारिश से बेहतर थी। वास्तव में, पिछले 10 में से 5 सालों में सितंबर की बारिश अगस्त के मुकाबले ज्यादा रही है। हालांकि 2002 इसका अपवाद रहा है, क्योंकि उस साल सूखा पड़ा था। अगर मौसम विभाग और वैश्विक स्तर पर मॉनसून की भविष्यवाणी करने वालों पर भरोसा करें तो इस साल सितंबर में कम बारिश होगी और अल नीनो के चलते इसकी तीव्रता में भी कमी आएगी। अगर ऐसा हुआ तो रबी की बुआई पर असर पड़ सकता है। मौसम विभाग के अधिकारी डी एस पई ने कहा कि अब तक हमें लगता है कि सितंबर की बारिश अगस्त के मुकाबले कम रहेगी। फिर भी अगस्त की अच्छी बारिश ने उत्तर पश्चिम व पश्चिमी इलाकों में सूखे जैसी स्थिति को दूर कर दिया है। अगस्त की बारिश से साल 2012 के मॉनसून सीजन में बारिश में कमी सामान्य के मुकाबले महज 14 फीसदी रह गई है। अगस्त की शुरुआत में यह कमी 20 फीसदी से ज्यादा थी। सबसे ज्यादा गिरावट उत्तर पश्चिम भारत में देखी गई है, जहां जुलाई में बारिश में कुल कमी सामान्य के मुकाबले 50 फीसदी थी, जो अब घटकर 17 फीसदी रह गई है। विशेषज्ञों को लगता है कि अगर बारिश का मौजूदा दौर आगे भी जारी रहता है तो सामान्य के मुकाबले बारिश में कुल कमी अगस्त के अंत तक महज 10 फीसदी रह जाएगी। इस बारिश से देश के प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में भी सुधार आया है और केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक जलाशयों का जलस्तर उनकी पूर्ण क्षमता का करीब 57 फीसदी है। मौसम विभाग ने कहा है कि पूर्व, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम और मध्य भारत में इस हफ्ते भी भारी बारिश जारी रहेगी। (BS Hindi)

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