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21 सितंबर 2012

विदेशी खुदरा कंपनियों के लिये दुकान खोलने का रास्ता साफ, एफडीआई अधिसूचना जारी

नई दिल्ली। विपक्ष के विरोध से अविचलित सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत देने के फैसले को अमलीजामा पहना दिया। इससे वालमार्ट जैसी खुदरा श्रंखला चलाने वाली विदेशी कंपनियों के लिये भारत में स्टोर खोलने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने इसके साथ ही विमानन और प्रसारण क्षेत्र में भी विदेशी निवेश नियमों को और उदार बनाने संबंधी फैसलों को भी अधिसूचित कर दिया। सरकार ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश संबंधी अपने निर्णयों की अधिसूचना विपक्ष की ओर से आहूत देशव्यापी बंद के दिन जारी कर जता दिया कि इस बार उसका इरादा पीछे हटने का नहीं है। सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी और सरकार में शामिल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने भी इस बंद का समर्थन किया था। केंद्र के सत्ताधारी गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत देने के फैसले के खिलाफ सरकार से समर्थन वापस ले लिया और शुक्रवार को उसके मंत्री मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे। इस अधिसूचना के साथ वालमार्ट जैसी वैश्विक खुदरा कंपनियां 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में अपने खुदरा स्टोर खोलने के लिए 51 फीसद तक निवेश कर सकेंगी। ये वे राज्य हैं जो बहुब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश के फैसले को अमल में लाने पर राजी हैं। इनमें दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तराखंड सहित दस राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (डीआईपीपी) ने अधिसूचना में कहा कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में 51 फीसद एफडीआई की मंजूरी है। इसमें कहा गया है कि फैसला तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इन फैसलों में सबसे विवादास्पद बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की मंजूरी है। इस बारे में डीआईपीपी ने कहा है कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश लागू करने का फैसला राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के विवेक पर छोड़ दिया गया है। वे इस बारे में फैसला करने को स्वतंत्र हैं। इसमें कहा गया है कि इस लिहाज से खुदरा दुकानें उन राज्यों (केंद्र शासित प्रदेशों सहित) में स्थापित हो सकती हैं जिन्होंने इस पर फिलहाल सहमति जताई है या फिर भविष्य में इसकी इजाजत देने पर राजी हैं। विदेशी निवेशक न्यूनतम 10 करोड़ डालर निवेश करेंगे और दुकानें उन शहरों में स्थापित होगी जिनकी आबादी 10 लाख से ज्यादा है। वैश्विक खुदरा कंपनियों को निवेश का 50 फीसद हिस्सा शीत गृहों, गोदामों और परिवहन जैसे बुनियादी ढांचे के विकास पर खर्च करना पड़ेगा। बताते चलें कि सरकार ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र पिछले साल नवंबर में खोलने का फैसला किया था लेकिन सहयोगी दल तृणमूल कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के पुरजोर विरोध के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। अबतक केवल 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत दी है। इनमें आंध्र प्रदेश, असम, दिल्ली, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, मणिपुर, राजस्थान, उत्तराखंड, दमन दीव व दादर नागर हवेली हैं। डीआईपीपी की अधिसूचना में कहा गया है कि बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में निवेश करने वाली वैश्विक कंपनियों को आनलाइन कारोबार की इजाजत नहीं होगी। इसके अलावा लाटरी कारोबार, चिट फंड, सिगार और सिगरेट बनाने व परिवहन (मास रैपिट ट्रांसपोर्ट प्रणाली छोड़ कर) क्षेत्र में एफडीआई की इजाजत नहीं होगी। कंपनियों को अपनी जरूरत का कम से कम 30 प्रतिशत विनिर्मित और प्रसंस्कृत सामान उन छोटे उद्योगों से खरीदना होगा जिनका संयंत्र व मशीनरी में कुल निवेश 10 करोड़ डालर से ज्यादा नहीं हो। प्रमुख खुदरा कंपनियों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। फ्यूचर ग्रुप के मुख्य कार्यपालक अधिकारी किशोर बियानी ने कहा कि अंतत: एफडीआई आ गया है। यह बहुत अच्छी खबर है। हमें विदेशी खुदरा कंपनियों से कोई खतरा नहीं है। आदित्य बिड़ला समूह के कारोबार निदेशक (परिधान व खुदरा व्यापार) प्रणब बरुआ ने कहा कि हमें अभी यह देखना होगा राज्य स्तर पर क्या होता है। इससे क्षेत्र को मदद मिलेगी। (Merikhabar.com)

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