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20 सितंबर 2012

बढ़ सकता है खाद्य तेल का आयात

नवंबर में शुरू होने वाले नए सीजन (नवंबर 2012 से अक्टूबर 2013) में खाद्य तेल का आयात 10 फीसदी बढ़कर 92 लाख टन पर पहुंच सकता है। जनवितरण प्रणाली के तहत खाद्य तेलों का वितरण करने के लिए जिम्मेदार खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का मोटे तौर पर यही अनुमान है। अधिकारियों के मुताबिक, पहले मंत्रालय ने कहा था कि मौजूदा सीजन में खाद्य तेल का आयात 95 लाख टन से 1 करोड़ टन पर पहुंच सकता है, लेकिन खाद्य तेल की खपत की मौजूदा दर इसे उचित नहीं ठहराता। वास्तव में, ऊंची कीमतों के चलते खाद्य तेल की खपत में कमी आई है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, विभाग की तरफ से संग्रहित खपत के मौजूदा आंकड़े 170 लाख टन हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 5-7 लाख टन कम है। उन्होंने कहा कि देर से हुई बारिश के चलते देश में तिलहन की आपूर्ति 10-12 फीसदी कम रहेगी, लेकिन आपूर्ति में होने वाली दिक्कत की भरपाई घटती मांग से होने की संभावना है। देश में तेल की कुल खपत 170 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसमें से आधी की आपूर्ति देसी स्रोतों से हो जाएगी। हालांकि 2012-13 में देश में खाद्य तेल की आपूर्ति 71 लाख टन रहने की संभावना है जबकि पिछले साल यह 76 लाख टन रहा था। मंत्रालय की तरफ से संग्रहित तिलहन ïउïत्पादन के मोटे अनुमान बताते हैं कि इस साल उत्पादन 300 लाख टन रहेगा जबकि पिछले साल 324 लाख टन तिलहन का उत्पादन हुआ था। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, देसी आपूर्ति के अनुमान पर नजर डालें तो खाद्य तेल का आयात आदर्श रूप में साल 2012-13 में 100 लाख टन रहेगा, लेकिन घटती मांग के चलते आयात 100 लाख टन से नीचे रह सकता है। अगर खपत में गिरावट रही तो यह घटकर 90 लाख टन के आसपास रह सकता है। संयोग से खाद्य तेल की वैश्विक कीमतें नीचे हैं और आयातित खाद्य तेल की कीमतें इसके आयात शुल्क के परिवर्तित ढांचे के चलते व रुपये में आई गिरावट के चलते बढ़ी हैं। सरकार ने जुलाई में रिफाइंड पामोलीन तेल पर टैरिफ की दरें संशोधित कर इसे पूर्व के 484 डॉलर के मुकाबले बढ़ाकर 1053 कर दिया है। पिछले छह साल से टैरिफ की दरें अपरिवर्तित थीं। अब हर पखवाड़े इसे संशोधित किया जाता है। एसईए के मुताबिक, मौजूदा समय में टैरिफ की दरें 1014 डॉलर प्रति टन है। रुपये में गिरावट और परिवर्तित टैरिफ दरों के बावजूद आरबीडी पामोलीन की आयातित कीमतें अगस्त 2012 में 1004 डॉलर प्रति टन रहीं जबकि अगस्त 2011 में यह 1192 डॉलर प्रति टन थीं। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा तेल वर्ष के पहले नौ महीने में खाद्य तेल का आयात पिछले साल के मुकाबले 19 फीसदी बढ़ा है। अगस्त 2012 में 8.9 लाख टन खाद्य तेल का आयात हुआ जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 8.17 लाख टन खाद्य तेल का आयात हुआ था। इसमें 8.82 लाख टन खाद्य तैल और 14,749 टन गैर-खाद्य तेल शामिल है। दूसरी ओर देसी बाजार में तिलहन की ऊंची कीमतों के चलते खली का निर्यात घटा है। एसईए के मुताबिक, अगस्त 2012 में 1,20,091 टन खली का निर्यात हुआ जबकि अगस्त 2011 में 2,91,466 टन खली का निर्यात हुआ था। इस तरह खली के निर्यात में 59 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। अप्रैल से अगस्त 2012 के बीच खली का निर्यात घटा है और इस अवधि में कुल 14.57 लाख टन खली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल 16.94 लाख टन खली का निर्यात हुआ था। (BS Hindi)

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