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01 सितंबर 2012

रिसर्च के बाद ही निवेश करें कमोडिटी फ्यूचर्स में

कुछ वर्ष पहले तक कमोडिटीज प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोग के काम आती थीं और इसके कारोबार से जुड़े कुछ व्यापारी ही इससे लाभ कमाते थे। लेकिन ऑनलाइन कमोडिटी फ्यूचर एक्सचेंज अस्तित्व में आने के बाद कमोडिटी में प्राइस डिस्कवरी के मकसद ने छोटे निवेशकों को भी फायदा कमाने का मौका मुहैया कराया है। कमोडिटी फ्यूचर्स ऐसा कारोबार है जिसमें मोटा फायदा होता है तो भारी घाटा भी हो सकता है। दरअसल इस बाजार में कोई कमोडिटी खरीदने या बेचने के बजाय उसका कांट्रेक्ट किया जाता है। वैल्थ बनाने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स तेजी से उभरता बाजार है। इस बाजार में तमाम कमोडिटी जैसे गेहूं, चना, धनिया, कॉपर, सोना, चांदी, क्रूड ऑयल में निवेश करके रिटर्न हासिल किया जा सकता है। कुछ वर्ष पहले तक कमोडिटीज प्रत्यक्ष रूप से या अप्रत्यक्ष रूप से उपभोग के काम आती थीं और इसके कारोबार से जुड़े कुछ व्यापारी ही इससे लाभ कमाते थे। लेकिन ऑनलाइन कमोडिटी फ्यूचर एक्सचेंज अस्तित्व में आने के बाद कमोडिटी में प्राइस डिस्कवरी के मकसद ने छोटे निवेशकों को भी फायदा कमाने का मौका मुहैया कराया है। लेकिन कमोडिटी फ्यूचर्स में उतरने से पहले इस सेगमेंट की बारीकियां समझना और आवश्यक सावधानी बरतना लाजिमी है। कैसे शुरू करें ट्रेडिंग कमोडिटी फ्यूचर्स में ट्रेडिंग के लिए सबसे पहले एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स व एनएमसीई जैसे एक्सचेंजों से जुड़े ब्रोकरों के यहां आपको केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) संबंधी औपचारिकताएं पूरी करते हुए एकाउंट खुलवाना होता है। आपके बैंक एकाउंट से जुड़े कैश एकाउंट में आपकी निवेश की गई राशि जमा रहेगी, जबकि डीमैट कमोडिटी एकाउंट में लॉट की शक्ल में कमोडिटी का ट्रांजेक्शन होगा। ब्रोकर आपको ऑनलाइन ट्रेडिंग की सुविधा भी दे सकता है। इसके अलावा ब्रोकर के ऑफिस में कॉल करके भी आप ट्रेडिंग कर सकते हैं। ट्रेडिंग का खर्च ब्रोकर आपको ट्रेडिंग की सुविधा देता है तो इसकी एवज में वह आपके ट्रांजेक्शन पर ब्रोकरेज चार्ज करता है। डे ट्रेडिंग के लिए ब्रोकरेज की दर काफी कम होती है जबकि इंवेस्टमेंट यानि सौदा करने के कुछ दिनों निपटान करने पर ब्रोकरेज थोड़ी ज्यादा होती है। ब्रोकरेज के अलावा स्टांप ड्यूटी और कुछ अन्य खर्च भी होते हैं। ट्रेडिंग से होने वाले फायदे (या घाटे) में से इन सभी खर्चों को निकालने के बाद ही आपको वास्तविक फायदा (या घाटा) मिलेगा। मार्केट में उथल-पुथल दरअसल कमोडिटी फ्यूचर मार्केट में होने वाली उथल-पुथल में ही निवेश और इस पर रिटर्न का मौका मिलता है। किसी भी कमोडिटी में एक-दो फीसदी की तेजी या गिरावट ही आपको अच्छा मुनाफा (अन्यथा घाटा) देता है। फ्यूचर एक्सचेंज में आपको किसी कमोडिटी के अनुबंध में लॉट की ट्रेडिंग करनी होती है। लॉट का आकार उस कमोडिटी के मूल्य पर निर्भर करता है। मसलन अगर एग्री कमोडिटी की बात करें तो इसका लॉट आमतौर पर 10 टन का होता है जबकि बाजार में ट्रेडिंग प्रति क्विंटल भाव पर होती है जबकि कीमती धातुओं जैसे सोना व चांदी का लॉट 100 ग्राम या एक किलो का हो सकता है। एक्सचेंजों ने छोटे निवेशकों को जोडऩे के लिए सोना मिनी और चांदी मिनी के छोटे लॉट भी लांच किए हैं। किस कमोडिटी में निवेश यह सवाल सबसे अहम है। एग्री कमोडिटी में उसकी पैदावार, आपूर्ति, मांग, निर्यात व आयात जैसे तमाम कारक मूल्य को प्रभावित करते हैं। इसी तरह कीमती धातुओं जैसे सोना व चांदी और बेसमेटल्स जैसे कॉपर, अल्यूमीनियम में घरेलू औद्योगिक मांग के अलावा वैश्विक स्तर पर बाजार की दिशा मूल्य को प्रभावित करते हैं। इसी तरह क्रूड ऑयल व नेचुरल गैस जैसी एनर्जी कमोडिटी में भी विश्वव्यापी स्तर पर आर्थिक हालात और बड़े उपभोक्ता देशों की स्थितियों का मूल्य पर असर पड़ता है। ऐसे में कमोडिटी में निवेश के लिए इनसे जुड़ी जानकारियां अत्यंत अहम होती हैं। अगर आपको सही समय पर इसकी जानकारी मिलती है, तभी आप फायदा कमा सकते हैं। यह जानकारी न मिलने पर सौदा करने की स्थिति में आपको घाटा होने की आशंका रहेगी। ऐसे में जिस कमोडिटी के फंडामेंटल की पूरी जानकारी हो और इसके आधार बाजार की दिशा का अनुमान लगाया जा सके, उसी में निवेश किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय लिंकेज बेसमेटल्स, एनर्जी कमोडिटी, कीमती धातुओं और कुछ एग्री कमोडिटी में भारतीय एक्सचेंजों के मूल्य अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों से काफी ज्यादा प्रभावित होते हैं। चूंकि यूरोप और अमेरिका के बाजार भारतीय बाजारों के बाद खुलते हैं। इस वजह से भारतीय बाजारों में इन कमोडिटी में ज्यादा उथल-पुथल देर रात को ही होती है। अंतरराष्ट्रीय लिकेंज होने के कारण भारतीय एक्सचेंजों में इन कमोडिटीज में कारोबार रात को 11.30 बजे तक होता है। प्राय: इन कमोडिटी में किए गए निवेश पर देर रात की ट्रेडिंग का काफी ज्यादा असर पड़ता है। शॉर्ट सेलिंग में भी फायदा कमोडिटी फ्यूचर में निवेशकों को शॉर्ट सेलिंग की भी सुविधा मिलती है। इसका आशय है कि निवेशक कोई खरीद सौदे करने से पहले ही बिक्री सौदा कर सकते हैं और बाद में मूल्य घटने पर खरीद सौदा करके निपटान कर सकते हैं। आम तौर पर निवेशक खरीद करने के बाद ही बिकवाली सौदा करते हैं। मोटा फायदा-भारी घाटा कमोडिटी फ्यूचर्स ऐसा कारोबार है जिसमें मोटा फायदा होता है तो भारी घाटा भी हो सकता है। दरअसल इस बाजार में कोई कमोडिटी खरीदने या बेचने के बजाय उसका कांट्रेक्ट किया जाता है। कांट्रेक्ट के समय लॉट की कुल वैल्यू के मुकाबले सिर्फ 5 फीसदी से 30 फीसदी मार्जिन मनी (हर कमोडिटी पर अलग-अलग) जमा करना होता है। इस तरह आपके वास्तविक निवेश के मुकाबले दो-चार दिन में ही आपको 10 फीसदी से लेकर 100 फीसदी तक मुनाफा मिल सकता है लेकिन सौदा उलटा पडऩे पर इतनी ही तेजी से घाटा होता है। ऐसे में निवेशकों को कमोडिटी फ्यूचर्सं अच्छे रिटर्न का मौका देता है तो भारी घाटा होने का भी अंदेशा बना रहता है। इस वजह से कमोडिटी से जुड़ी जानकारी और समुचित विश्लेषण के बगैर निवेश करने की सलाह नहीं दी जा सकती है। (Business Bhaskar)

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