कुल पेज दृश्य

10 सितंबर 2012

जिंस ब्रोकरों की संभावित कर चोरी की जांच कर रहा है आयकर विभाग

जिंस ब्रोकरों के खिलाफ कर चोरी की शिकायतों को भांपते हुए आयकर (आईटी) विभाग ने जिंस ब्रोकरों द्वारा किए गए क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन (सीसीएम) की जिंस वायदा एक्सचेंजों से जानकारी मांगी है। आयकर विभाग क्लाइंट कोड में बदलाव के जरिये आयकर चोरी की संभावनाओं की जांच कर रहा है। जनवरी-मार्च 2011 के दौरान हुए क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन की वायदा बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) द्वारा जांच के बाद अब इसकी आयकर जांच हो रही है। संदर्भित अवधि में क्लाइंटों के कोड में बदलाव के लिए एक्सचेंजों के पास ब्रोकरों के आए आग्रह असामान्य रूप से काफी ज्यादा दर्ज किए गए थे। एफएमसी के सूत्रों के मुताबिक केवल मार्च 2011 में ही ब्रोकरों के आग्रहों पर कार्रवाई करते हुए विभिन्न जिंस एक्सचेंजों ने 14,570 करोड़ रुपये के लेन-देने वाले कोडों में बदलाव किया। जबकि पूरे वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान इस तरह के बदलाव 30,000 करोड़ रुपये के हुए थे। आधिकारिक रूप से सीसीएम की सुविधा केवल वास्तविक खरीद में हुई गलतियों के मामले में क्लाइंट कोड में सुधार के लिए होती थी और यह कारोबारी सत्र की समाप्ति के अंतिम 15 मिनट में ही होती है। आमतौर पर किसी सदस्य ब्रोकर द्वारा छपाई या गैर-इरादतन गलती होने की स्थिति में किए गए आग्रह पर एक्सचेंज द्वारा क्लाइंट कोड में संशोधन किया जाता है। लेकिन क्लाइंट कोड मोडिफिकेशन (सीसीएम) को कारोबारियों द्वारा कारोबार की सूचनाओं में बार-बार बदलाव के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया, जिसे वायदा बाजार नियामक कर चोरी की संभावना के रूप में देखता है। स्पष्ट है कि सीसीएम के दुरुपयोग का सबसे मुख्य उद्देश्य कर चोरी माना जाता है, जैसे जिंस कारोबार में हुए सटोरिया नुकसान को एक ग्राहक से दूसरे ग्राहक में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जो लाभ पर कर देनदारी को कम करने के लिए सटोरिया लाभ को संतुलित कर देता है। आयकर जांच बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि एफएमसी ने विभिन्न मौकों पर सीसीएम में बदलाव के कारोबारियों के मकसद को सामने रखा है। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने हाल ही में कहा, 'इस साल मार्च में 14,570 करोड़ रुपये के कारोबार में सीसीएम काफी अधिक है। कीमतों में 3 फीसदी उतार-चढ़ाव के हिसाब से केवल क्लाइंट कोड में बदलाव के जरिये अतिरिक्त 450 करोड़ रुपये बनाए गए। इससे 30 फीसदी की लागू दर के हिसाब से करीब 150 करोड़ रुपये के विभिन्न करों को बचाया गया।' आयकर महानिदेशक (जांच) अनुराग श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा, 'हमने जिंस एक्सचेंजों से सूचनाएं मांगी थीं।' हालांकि उन्होंने ज्यादा टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एक प्रमुख जिंस एक्सचेंज के अधिकारी ने कहा, 'आयकर विभाग ने जो जानकारियां मांगी हैं, वह सब मुहैया कराने के लिए हम जवाबदेह नहीं हैं। सैकड़ों क्लाइटों के ऐसी लिस्टिंग कई हजार हो सकती हैं, जिनमें कोड मोडिफिकेशन किया गया हो। मात्रात्मक लिहाज से काफी अधिक होने के कारण जानकारियां मुहैया कराना संभव नहीं है। हालांकि हम किसी क्लाइंट विशेष की जानकारी देने के लिए तैयार हैं। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: