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31 अक्तूबर 2012

सोने की खरीद फरोख्त पर नहीं मिलेगा कर्ज

केंद्रीय बैंक महंगाई बढऩे की एक प्रमुख वजह सोने के प्रति निवेशकों की बढ़ती चाहत मानता है। सोने की मांग को नियंत्रित करने के लिए रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे सोना खरीदने के लिए किसी भी तरह का कर्ज नहीं देंगे। इन निर्देशों के बाद बैंक किसी भी सोना कारोबारी को अब कर्ज नहीं दे सकेंगे। रिजर्व बैंक के इन निर्देशों पर एंजेल ब्रोकिंग की नलिनी राव कहती हैं कि इसका असर सोना कारोबारियों और फर्मों पर पड़ेगा क्योंकि ये कंपनियां बैंक से कर्ज लेकर सोने का कारोबार करती हैं। उनका कहना है कि कंपनियां सोना खरीदने के लिए कर्ज नहीं लेती हैं लेकिन जो कर्ज लिया जाता है उसका उपयोग कमोडिटी एक्सचेंजों में सोने की हेजिंग या फिर सोने का स्टॉक बढ़ाने के लिए किया जाता है। रिजर्व बैंक के इस फैसले का सोने की कीमतों पर असर पड़ सकता है। घरेलू बाजार में माल कम होने पर कीमतें बढ़ सकती हैं और यह बी संभव है कि कारोबारियों की संख्या कम होने से कीमतें घट जाएं। बाम्बे बुलियन एसोसिएशन के अध्यक्ष पृथ्वीराज कोठारी के मुताबिक इससे उनके कारोबार में कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि सोना खरीदने के नाम पर बैंक पहले ही उन्हें कर्ज नहीं दे रहे थे। अलबत्ता, इसका असर गोल्ड फाइनेंस कंपनियों के कारोबार पर पड़ सकता है। बैंक से सोना कारोबारी जो कर्ज लेते हैं वह सोना खरीदने के लिए नहीं बल्कि कारोबार बढ़ाने के लिए लेते हैं जिसमें नए शोरुम खोलना आदि शामिल है। कोठारी के मुताबिक आरबीआई के इस फैसले से सटोरियों पर लगाम लग सकती है। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन कहते हैं कि सीधे तौर पर हमारे कारोबार पर कोई असर नहीं पडऩे वाला है दूसरी तरफ बहुत सारे स्वर्ण कारोबारी इस निर्देश पर असमंजस में हैं। कारोबारियों का कहना है कि बहुत सारी गोल्ड कंपनियों ने ज्वैलरी खरीदने के लिए एसआईपी जैसी योजनाएं चला कर रखी हैं जिन पर बैंक कर्ज देते हैं। ये कंपनियां बिक्री बढ़ाने के लिए ग्राहकों को आसान कर्ज देती हैं। (BS Hindi)

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