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01 नवंबर 2012

दलहन आयात पर बढ़ेगी निर्भरता

मौजूदा खरीफ सीजन में कीटों के हमले के चलते अरहर का उत्पादन करीब 10 फीसदी घट सकता है और इस वजह से आयातित दालों पर भारत की निर्भरता में इजाफा हो सकता है। यहां सभी किस्मों का कुल आयात 25-35 लाख के बीच है, जो सालाना मांग का करीब 15 फीसदी है। एसोचैम का अनुमान है कि साल 2012-13 में देश में 210 लाख टन दालों की मांग होगी, जो साल 2013-14 में बढ़कर 214.2 लाख टन और 2014-15 में 219.1 लाख टन पर पहुंच जाएगी। भारत में दलहन का कुल उत्पादन करीब 180 लाख टन है, जिसमें से अरहर की हिस्सेदारी 15 फीसदी है। अरहर का उत्पादन खरीफ सीजन में होता है और इसकी बुआई मॉनसून के आगमन के साथ जून में होती है और इसकी कटाई अक्टूबर में। लेकिन मॉनसून की बारिश में दो महीने की देरी से इस सीजन का आनुपातिक रूप से विस्तार हुआ और इस वजह से अरहर की कटाई नवंबर के आखिर में होने की संभावना है। दलहन कारोबारी और पल्सेस एक्सपोर्ट्र्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष के सी भरतिया ने कहा, हालांकि इस साल प्रमुख उत्पादक इलाकों में कीटों के हमले के चलते फसल बर्बाद हो गई है। हालांकि वास्तविक नुकसान का आकलन अभी नहीं हो पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि कम से कम 10 फीसदी फसल निश्चित तौर पर बर्बाद हुई है। इसके परिणामस्वरूप उत्पादन में इतनी ही कमी से इनकार नहीं किया जा सकता। पॉड बोरर के नाम से मशहूर कीट सभी दलहनों मसलन अरहर, उड़द, चने आदि पर हमला करता है और अरहर के पौधे में फूल लगने के समय इस सीजन में गुजरात व महाराष्ट्र समेत दूसरे उत्पादक इलाकों में इस कीट का हमला हुआ है। माना जाता है कि यह कीट फसल को 30-50 फीसदी तक नुकसान पहुंचाता है और इसके परिणामस्वरूप दलहन के रकबे में लगातार गिरावट देखी जा रही है। दालों का कारोबार करने वाली मुंबई की कंपनी जिंदल ओवरसीज कॉरपोरेशन के निदेशक प्रदीप जिंदल ने कहा, स्थानीय स्तर पर उत्पादन में कमी की भरपाई आसानी से आयात से हो सकती है, जैसा कि विगत में होता आया है। ऐसे में अरहर पर कीटों के हमले की घटना से फिलहाल किसी तरह की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 21 सितंबर तक 99.81 लाख हेक्टेयर में खरीफ की दलहन की बुआई हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 108.28 लाख हेक्टेयर में दलहन की बुआई हुई थी। मॉनसून सीजन के आखिर में बारिश के बहाल होने से बुआई की संभावना बढ़ी। इस समय के बाद हुई बुआई से लाभकारी फसल शायद ही हासिल हो पाए। बारिश में देरी के बाद भी इस साल अरहर के रकबे में 1.6 फीसदी की गिरावट आई है और यह 36.17 लाख हेक्टेयर रहा है जबकि पिछले साल यह 37.53 लाख हेक्टेयर था। साल 2012-13 सीजन के पहले अग्रिम अनुमान के मुताबिक, खरीफ दलहन का उत्पादन 14.6 फीसदी घटकर 52.6 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि पिछले साल यह 61.6 लाख टन रहा था। 2011-12 सीजन के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक हालांकि दलहन का उत्पादन 172.1 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि 2010-11 में यह 182.4 लाख टन रहा था। जहां चने का ïउत्पादन 1011-12 में 75.8 लाख टन रहने का अनुमान है, वहीं अरहर का उत्पादन 26.5 लाख टन रह सकता है। उड़द का उत्पादन 18.3 लाख टन जबकि मूंग का उत्पादन 17.1 लाख टन रहने का अनुमान है। (BS Hindi)

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