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05 नवंबर 2012

पंजाब-हरियाणा ने की गेहूं का एमएसपी बढ़ाने की मांग

फसल विपणन वर्ष 2013-14 के लिए गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा नहीं करने के फैसले के एक दिन बाद देश के दो सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्यों पंजाब व हरियाणा ने एमएसपी में इजाफे की मांग की है ताकि उर्वरक व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते कृषि लागत में हुई तेज बढ़ोतरी की भरपाई की जा सके। पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल एक कदम और आगे बढ़ गए और उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के किसानों को गेहूं उत्पादन के प्रति हतोत्साहित कर रही है और इस वजह से वैश्विक संकट खड़ा हो सकता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की हिचकिचाहट से पंजाब के किसान परेशान हो रहे हैं। पंजाब और हरियाणा देश के कुल उत्पादन में 80 फीसदी से ज्यादा का योगदान करते हैं। दोनों ही केंद्रीय भंडार में योगदान करने वाले प्रमुख राज्य हैं। बादल ने सीआईआई के एक समारोह के बाद बताया कि मुझे झटका लगा है। अगर पंजाब के किसान गेहूं उत्पादन के प्रति हतोत्साहित हुए और इसका उत्पादन घटा तो विश्व में गेहूं का संकट पैदा हो जाएगा। देश में गेहूं की कुल जरूरत का 60 फीसदी पंजाब से आता है। इस बीच, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा - मैंने केंद्रीय कृषि मंत्री को पत्र लिखकर गेहूं का एमएसपी बढ़ाने की मांग की है क्योंकि उर्वरक की लागत बढ़ी है। पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट ने 2013-14 के सीजन के लिए गेहूं के एमएसपी पर कोई फैसला नहीं लिया क्योंकि विभिन्न मंत्रालयों के बीच इस पर आम सहमति नहीं थी। अधिकारियों ने कहा कि कैबिनेट के सदस्य इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने से पहले और चर्चा करना चाहते हैं। अधिकारियों ने कहा कि बढ़ती खाद्य सब्सिडी के चलते एक ओर जहां खाद्य मंत्रालय गेहूं के एमएसपी में बढ़ोतरी नहीं करने के हक में है, वहीं कृषि मंत्रालय बढ़ती लागत के चलते इसमें 9-10 फीसदी की बढ़ोतरी चाहता है। कृषि उत्पादों के लिए एमएसपी की सिफारिशें करने वाले कृषि लागत व मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने पिछले 10 साल में पहली बार 2013-14 में गेहूं के एमएसपी में इजाफे की सिफारिश नहीं की है और इसे 1285 रुपये प्रति क्विंटल पर बरकरार रखने को कहा है। बादल ने कहा कि केंद्र सरकार पंजाब के किसानों पर नियंत्रण चाहती है। (BS Hindi)

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