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25 दिसंबर 2012

'जांच' के बिना नहीं होगा काली मिर्च वायदा

कृषि जिंसों के गुणवत्ता मानकों से जुड़े नियमों को मजबूत करते हुए वायदा बाजार आयोग दूसरे वैधानिक निकायों द्वारा तय मानकों को शामिल करने के लिए कॉन्सेप्ट पेपर का मसौदा तैयार करने में जुटा हुआ है। ये वैधानिक निकाय हैं खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) आदि। यह फैसला एफएसएसएआई की तरफ से 18 दिसंबर को एनसीडीईएक्स के छह गोदामों में जमा 180 करोड़ रुपये की कीमत वाले 5,000 टन काली मिर्च को जब्त करने के मद्देनजर लिया गया है। एफएसएसएआई ने एक्सचेंज के छह गोदामों को सील कर दिया है। एफएसएसएआई ने काली मिर्च में मिनरल ऑयल पाया है, जिसका इस्तेमाल इसकी पॉलिसिंग के लिए किया गया था। एफएमसी चेयरमैन रमेश अभिषेक की अगुआई वाली 40 सदस्यीय सलाहकार समिति ने 7 अक्टूबर की बैठक में दूसरे वैधानिक निकायों द्वारा तय गुणवत्ता मानकों को यहां भी लागू करने पर विचार किया था, ताकि देश भर में गुणवत्ता के एकसमान मानक हो जाएं। यह एक पखवाड़े में तैयार होने की संभावना है, ऐसे में काली मिर्च की गुणवत्ता की जांच उपरोक्त वर्णित निकायों के अलावा अन्य वैधानिक निकायों मसलन एगमार्क और हजार्ड एनालिसिस ऐंड क्रिटिकल कंट्रोल पॉइंट (एचएसीसीपी) के मानकों के आधार पर भी होगी। बाद में एफएमसी जनता की राय लेगा, जो नियामक की तरफ से दिशानिर्देश को अंतिम रूप देने से पहले सामान्य चलन हो गया है। एफएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हम सामान्य तौर पर काली मिर्च में अन्य मानकों मसलन भार, नमी की मात्रा और अन्य अशुद्धियों की जांच करते हैं, जो नौ साल पहले अनुबंध शुरू करने के समय से ही चलन में है। मिनरल ऑयल की जांच का मसला हमारे लिए नया है, जो आयोग एक्सचेंज के प्लैटफॉर्म पर पेश होने वाले नए अनुबंध में लागू करेगा। वास्तव में, एफएमसी ने काली मिर्च के अनुबंध पेश करने वाले तीन एक्सचेंजों एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और इंडिया पेपर ऐंड स्पाइस ट्रेड एसोसिएशन को आयोग के पूर्वानुमति के बिना काली मिर्च का नया अनुबंध पेश करने से मना किया है। अधिकारी ने कहा, हम एक्सचेंजों से काली मिर्च के अनुबंध में मिनरल ऑयल की जांच संबंधी शर्त जोडऩे को कहेंगे और इसके बिना अनुबंध की अनुमति नहीं दी जाएगी। प्रयोगशालाओं में ऐसी सुविधा के लिए होने वाले खर्च पर अधिकारी ने कहा कि मिनरल ऑयल जांच से जुड़ी मशीन में भारी निवेश की दरकार नहीं होती है। ऐसे में प्रयोगशालाओं में इसे लगाने में कोई समस्या नहीं होगी। अगर विभिन्न वैधानिक निकायों के कोई और नियम होंगे तो आयोग उस पर विचार करेगा और यह जानने की कोशिश करेगा कि ऐसी जांच के लिए प्रयोगशालाओं में कितने निवेश की दरकार होगी। काली मिर्च के स्टॉक को सील किए जाने को कारोबारियों ने नियामकीय खामी बताया है क्योंकि अनुबंध में मिनरल ऑयल की जांच का मामला शामिल नहीं किया गया था। स्पष्ट तौर पर कारोबारी इस बात का फायदा उठा रहे थे कि एनसीडीईएक्स के अनुबंध में मिनरल ऑयल की जांच को शामिल नहीं किया गया था। अधिकारी के मुताबिक, एफएमसी ने मसाला बोर्ड के साथ संपर्क करने के बाद मौजूदा अनुबंध की अनुमति दी थी। इस बीच, 20 दिसंबर को समाप्त अनुबंध में कारोबारियों ने महज 29 टन की डिलिवरी की मांग की है। चूंकि एफएसएसएआई ने काली मिर्च की पूरी मात्रा एनसीडीईएक्स के गोदामों में सील कर दी है, ऐसे में डिलिवरी कोई बड़ी समस्या नहीं होगी और न ही यह डिफॉल्ट में तब्दील हो पाएगा। डिलिवरी संबंधी चिंताओं के बीच कारोबारियों ने पिछले 10 दिनों में एनसीडीईएक्स पर दिसंबर वायदा की बिकवाली कर दी है, ऐसे में कुल ओपन इंटरेस्ट (खड़े सौदे) महज 29 टन का है जबकि 10 दिसंबर को यह 2437 टन था। आयोग हालांकि इस पक्ष में नहीं है कि स्थानीय कारोबार के लिए उपलब्ध काली मिर्च की जांच अन्य वैधानिक निकायों के मानदंड के मुताबिक करवाने के लिए कारोबारी भारी भरकम खर्च करे। (BS Hindi)

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