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15 दिसंबर 2012

पटसन उद्योग पर सरकार की नजर-ए-इनायत

पटसन उद्योग में लगे लोगों के हितों का पूरा ध्यान रखने का भरोसा जताते हुए सरकार ने आज कहा कि कच्चे पटसन के न्यूनतम समर्थन मूल्य में पिछले साल की तुलना में इस साल 32 फीसदी का इजाफा करते हुए इसे 2200 रुपये प्रति क्ंिवटल निर्धारित किया गया है। वाणिज्य उद्योग एवं वस्त्र मंत्री आनंद शर्मा ने लोकसभा में पटसन पैकेजिंग सामग्री (अनिवार्य उपयोग) कानून 1987 में ढील देने से उत्पन्न स्थिति पर तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय और माकपा के बासुदेव आचार्य के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के उत्तर में इस आरोप को भी गलत बताया कि खाद्यान्न और चीनी की पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक बैगों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि इस समय पटसन का बाजार मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक है और साथ ही पटसन मिलों में बेरोजगारी की धारणा के विपरीत श्रमिकों का अभाव बताया गया है। राय ने जूट उद्योग को पश्चिम बंगाल का एक प्रमुख उद्योग बताते हुए आरोप लगाया कि प्लास्टिक और चीनी लॉबी के दबाव में सरकार ने जूट कानून में ढील दी है। उन्होंने सरकार से कानून में ढील देने के अपने फैसले को वापस लेने की मांग की। आचार्य का कहना था कि सरकार के फैसले से जूट उद्योग के तीन लाख कामगारों और 40 लाख किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इस मुद्दे पर मंत्री के जवाब के दौरान सत्ता पक्ष और वामपंथी सदस्यों के बीच नोकझोंक हुई। शर्मा ने बताया कि इस साल एक जुलाई से 30 जून 2013 तक के लिए सरकार ने चीनी और खाद्यान्नों के उत्पादन के न्यूनतम क्रमश: 40 फीसदी और 90 फीसदी हिस्से के लिए पटसन बोरों में अनिवार्य पैकेजिंग का अनुमोदन किया है। उन्होंने कहा कि पिछले रबी मौसम के दौरान पटसन मिल समय पर पटसन बोरों की आपूर्ति करने में असमर्थ थीं और हमें भारतीय खाद्य निगम सहित मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश की खाद्यान्न खरीद एजेंसियों को एचडीपीई बोरों की एक लाख 60 हजार गांठ प्रयोग करने की छूट देनी पड़ी थी। शर्मा ने बताया कि उनके मंत्रालय ने राज्य सरकारों से पूरे वर्ष के लिए अग्रिम मांग योजना और पटसन मिलों से पटसन उत्पादन की अग्रिम मासिक वचनवद्धता भेजने का अनुरोध किया है। उन्होंने पश्चिम बंगाल सहित सभी राज्यों से अनुरोध किया कि इस उद्योग के व्यापक हित में गतिरोध से बचने के लिए पटसन बोरों की मांग, उत्पादन और आपूर्ति समय पर सुनिश्चित करने में सहयोग करें। (BS Hindi)

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