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28 जनवरी 2013

प्याज निर्यात के लिए आएगा न्यूनतम मूल्य!

न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) खत्म किए जाने के सात महीने बाद सरकार एक बार फिर से प्याज निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य तय करने पर विचार कर सकती है। पिछले साल मई में सरकार ने प्याज निर्यात से न्यूनतम मूल्य की सीमा हटा ली थी। लेकिन हाल में ही खत्म हुई खरीफ और आगामी रबी फसल में बेहतर गुणवत्ता के प्याज की कमी के कारण इसकी कीमतें बढ़ गई हैं। जनवरी के पहले पखवाड़े में ही प्याज की कीमतें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में करीब 250 गुना बढ़ गई हैं। कारोबारी सूत्रों का मानना है कि सरकार निर्यात को नियंत्रित करने के लिए 700 डॉलर प्रति टन की न्यूनतम कीमत तय कर सकती है। एक निर्यातक कहते हैं कि ऐसा किया तो यह वाकई बहुत ज्यादा होगा। फिलहाल भारतीय निर्यातक मध्य पूर्वी आयातकों को 420 डॉलर प्रति टन की दर से निर्यात कर रहे हैं। एक कारोबारी का कहना है कि ऐसे में 700 डॉलर की न्यूनतम दर तय करने से यह ऑर्डर पाकिस्तान जैसे देशों के पास जा सकते हैं। वर्ष 2011-12 में भारत का कुल प्याज निर्यात पिछले साल की तुलना में 15 फीसदी बढ़कर 15.50 लाख टन हो गया। पिछले साल यह 13.40 लाख टन था। एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के निदेशक अशोक वालनुज का मानना है कि पाकिस्तान की वजह से इस साल विदेशों से कम ऑर्डर मिले हैं। इसलिए कारोबारी माल रोककर ऊंची कीमत पर बेचने में रुचि दिखा रहे हैं। यही कारण है कि बाजार में प्याज की कीमतें बढ़ रही हैं। हालांकि मुंबई की वाशी मंडी में इस हफ्ते प्याज की आवक शुरुआत के 200 ट्रकों से बढ़कर 250 ट्रक हो गई। एक ट्रक में करीब 9 टन प्याज होता है। पाकिस्तान से मंगाया गया प्याज भारतीय प्याज की तुलना में 30-40 डॉलर सस्ता होता है। वह कहते हैं कि 700 डॉलर की न्यूनतम कीमत की सीमा से निर्यात के अवसर घट जाएंगे। राष्टï्रीय बागवानी शोध एवं विकास संघ (एनएचआरडीएफ) के निदेशक आर पी गुप्ता को उम्मीद है कि इस वर्ष भी प्याज का उत्पादन पिछले साल की तरह सामान्य रहेगा। कारोबारियों पर गलत तरीके से दाम बढ़ाने का आरोप लगाते हुए गुप्ता कहते हैं कि आमतौर पर उत्पादन में 10 फीसदी की गिरावट की भरपाई आसानी से की जा सकती है। शुरुआती अनुमानों के मुताबिक भारत में प्याज का कुल उत्पादन 164-166 लाख टन के बीच रहने की उम्मीद है। प्याज निर्यात बढ़ा चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-दिसंबर अवधि में देश से प्याज का निर्यात 17 फीसदी बढ़कर 12.95 लाख टन रहा है। सरकारी संगठन एनएचआरडीएफ का मानना है कि आगामी महीनों के दौरान निर्यात में गिरावट आने की संभावना है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर प्याज के दाम बढ़ रहे हैं। नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास संगठन (एनएचआरडीएफ) ने कहा कि पिछले साल इसी अवधि में देश से प्याज का निर्यात 11 लाख टन का रहा था। एनएचआरडीएफ के निदेशक आर पी गुप्ता ने कहा, 'अभी तक प्याज का निर्यात पिछले साल से अच्छा रहा है। लेकिन अब निर्यात में कमी आ रही है, क्योंकि दाम बढऩे की वजह से भारतीय प्याज अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम प्रतिस्पर्धी रह गया है।' उन्होंने कहा कि प्याज उत्पादक क्षेत्रों में इसके दाम 2-3 रुपये बढ़कर 14-15 रुपये प्रति किलोग्राम हो गए हैं। इसकी वजह इस साल प्याज उत्पादन में गिरावट का अनुमान है। इससे निर्यात का मार्जिन घट गया। गुप्ता ने कहा कि जनवरी और फरवरी में प्याज का निर्यात कम रहने का अनुमान है। भारतीय प्याज का ज्यादातर निर्यात खाड़ी देशों और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों जैसे इंडोनेशिया और मलेशिया को होता है। उत्पादन में गिरावट की आशंकाओं को खारिज करते हुए गुप्ता ने कहा, 'कुल प्याज का उत्पादन पिछले साल के स्तर 174 लाख टन पर रहेगा। हालांकि, प्याज बुआई क्षेत्र में 10 फीसदी गिरावट आई है।' (BS Hindi)

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