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29 जनवरी 2013

चने का जीनोम खंगाला, बनेंगी ढेर सारी किस्में

भारत और अन्य देशों के उपभोक्ता अब चने की दाल की विभिन्न किस्मों का जायका ले सकेंगे। अद्र्घ शुष्क उष्णकटिबंधीय देशों के लिए अंतरराष्टरीय फसल अनुसंधान संस्थान (आईसीआरआईएसएटी) के नेतृत्व में वैश्विक वैज्ञानिकों की एक टीम ने पहली बार करीब 90 किस्म के चनों के जीनोम अनुक्रम की गुत्थी सुलझा ली है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे वे चने की सूखा प्रतिरोधी और रोग-रहित किस्में विकसित करने में सक्षम होंगे। इसकी मदद से वे अधिक पोषक तत्वों वाले चने भी विकसित कर पाएंगे। इस अनुसंधान परियोजना की टीम में 10 देशों के 23 संगठनों के 49 वैज्ञानिक हैं, जिनमें भारत से आईसीएआर के वैज्ञानिक भी शामिल हैं। वैश्विक अनुसंधान भागीदारी के तहत काबुली चने के 28,269 जीनों की पहचान करने में सफलता पाई गई है। इसके साथ-साथ करीब 90 किस्मों के चनों के जीनोम अनुक्रम की गुत्थी सुलझा ली गई है। इस उपलब्धि को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र की सर्वोच्च पत्रिका 'नेचर बायोटेक्नोलॉजी' ने अपने नवीनतम संस्करण में इस अनुसंधान को जगह दी है। चना दुनिया भर में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली दूसरी दाल है, जिसकी खेती लगभग 1.15 करोड़ हेक्टेयर रकबे में होती है। जहां भारत चने का सबसे बड़ा उत्पादक (सबसे बड़ा आयातक और उपभोक्ता भी) देश है, वहीं इसकी खेती कई अफ्रीकी देशों में भी की जाती है, जिनमें इथियोपिया, तंजानिया और केन्या शामिल हैं। (BS Hindi)

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