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18 फ़रवरी 2013

गेहूं निर्यात और भंडारण स्थान बनाने का होगा सुनहरा मौका

देश में अनाज का लगातार भंडार बढ़ रहा है। इस बीच एक अच्छी खबर आई है। हाल में जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गेहूं का निर्यात इस साल जुलाई तक प्रतिस्पर्धी रह सकता है। इससे सरकार के पास अपना अनाज बेचने और भंडारण के लिए जगह बनाने का अच्छा मौका होगा। कमजोर आपूर्ति के चलते मक्के का निर्यात भी वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी रह सकता है। लेकिन कमजोर घरेलू उत्पादन निर्यात में तेजी रोक सकता है। नैशनल कौंसिल ऑफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की तिमाही कृषि परिदृश्य रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय चीनी बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा पर दबाव रहेगा। इसकी वजह कम वैश्विक उत्पादन, ऊंची घरेलू कीमतें और गन्ने की बढ़ती कीमतें हैं। भारत का खाद्यान्न भंडार 1 फरवरी, 2013 को 6.5 करोड़ टन से ज्यादा अनुमानित है, जो आवश्यक मात्रा से दोगुने से भी ज्यादा है। ज्यादा स्टॉक की वजह पिछले कुछ वर्षों में गेहूं और चावल का लगातार बंपर उत्पादन होना है। विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सरकार अपने भंडार को बेचने की योजना बनाएगी, तब 1 जून, 2013 तक खाद्यान्न का स्टॉक 9 करोड़ के स्तर पर पहुंच सकता है। इस वर्ष के लिए गेहूं की खरीद 1 अप्रैल से शुरू होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'जुलाई-जून के आधार पर गेहूं का निर्यात करीब 70 लाख टन पर पहुंच सकता है।Ó रिपोर्ट के अनुसार भारत का चावल निर्यात 2013 में कमजोर रह सकता है, क्योंकि निर्यात के योग्य घरेलू सरप्लस कम है और थाईलैंड में स्टॉक बढ़ रहा है। स्टॉक बढऩे से थाईलैंड चावल की ज्यादा मात्रा निर्यात के लिए जारी कर सकता है। वह विश्व के सबसे बड़े चावल निर्यातक के अपने दर्जे को पाने के लिए निर्यात को प्रोत्साहित करेगा। थाईलैंड को पीछे छोड़कर 2012 में भारत विश्व का सबसे बड़ा चावल निर्यातक बना था। इस दौरान देश ने 90 लाख टन चावल का निर्यात किया। रिपोर्ट में कहा गया है, 'नाइजीरिया, ईरान और इंडोनेशिया जैसे प्रमुख आयातक देश शुल्क और गैर-शुल्क अवरोध खड़े कर रहे हैं। उनकी कोशिशचावल उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने की है। इनका असर आगामी वर्षों में भारत के चावल निर्यात पर पड़ सकता है।Ó सरकार के राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के तहत तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए मटर का आयात मुश्किल होगा क्योंकि फ्रांस में इसकी मांग बढ़ रही है। भारत को मटर आपूर्ति करने वाला फ्रांस प्रमुख देश है। पिछले साल का कम स्टॉक होने से चने की कीमतों में भी मजबूती रह सकती है। वनस्पति तेल आयात के बारे में रिपोर्ट कहती है कि आयात में बढ़ोतरी जारी रहेगी, क्योंकि मलेशिया और इंडोनेशिया अपने भंडार को खपाने के लिए भारत को बड़ी मात्रा में पाम तेल का निर्यात करते रहेंगेे। इससे कीमतों में गिरावट आ सकती है, लेकिन भारतीय तेल प्रसंस्करण उद्योग को नुकसान पहुंचेगा। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के ताजा आंकड़ों के मुताबिक भारत का खाद्य तेल आयात जनवरी 2013 में पिछले साल जनवरी के मुकाबले 75 फीसदी बढ़कर 11.5 लाख टन पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'भारत और विश्व में उत्पादन का प्रदर्शन विपरीत है (2012-13 के वैश्विक उत्पादन की तुलना में घरेलू उत्पादन गेहूं का ज्यादा है, लेकिन चावल और चीनी के मामले में कम है)। इससे सरकार के समक्ष नीतिगत चुनौतियां और अवसर दोनों ही आएंगे।Ó घरेलू बाजार में कीमतों के रुख पर तिमाही रिपोर्ट में कहा गया है कि थोक मूल्य सूचकांक में फरवरी 2013 तक वर्ष दर वर्ष आधार पर 9.5 फीसदी की बढ़ोतरी जारी रहेगी। उसके बाद इसमें कुछ नरमी आ सकती है। थोक मूल्य सूचकांक में गैर-प्रसंस्कृत और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद शामिल हैं। इसमें कहा गया है कि 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन 24.55 करोड़ टन रहने की संभावना है, जो पिछले साल के रिकॉर्ड उत्पादन 25.74 करोड़ टन से 4.6 फीसदी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'उत्पादन में गिरावट चावल उत्पादन 10.43 करोड़ टन से घटकर 9.9 करोड़ टन रहने और मोटे अनाज का उत्पादन 4.2 करोड़ टन से घटकर 3.7 करोड़ टन रहने के कारण आएगी। (BS Hindi)

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