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18 अप्रैल 2013

उत्तर भारत में कपास की बुवाई लेट होने के आसार

असर- गेहूं की कटाई लेट होने से खरीफ की बुवाई पर प्रभाव चालू रबी में गेहूं की पैदावार अच्छी रहने का अनुमान है। वैसे भी गेहूं उत्पादन को लेकर ज्यादा चिंता करने की बात नहीं है क्योंकि केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक मौजूद है। दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू वर्ष 2012-13 में गेहूं का उत्पादन 923 लाख टन रहने के आसार हैं। - आशीष बहुगुणा, कृषि सचिव महाराष्ट्र व गुजरात में सूखे के बावजूद स्थिति चिंताजनक नहीं उत्तर भारत के प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों पंजाब और हरियाणा में गेहूं की कटाई में हुई देरी से अगले खरीफ सीजन में कपास की बुवाई लेट होने की संभावना है। कृषि सचिव आशीष बहुगुणा ने दिल्ली में पत्रकारों को बताया कि चालू रबी में गेहूं की पैदावार पिछले साल से भी ज्यादा होने का अनुमान है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात में सूखे के बावजूद स्थिति ज्यादा चिंताजनक नहीं है। हालांकि फसलों की पैदावार में मानसून एक अहम रोल अदा करता है लेकिन वर्ष 2012-13 में देश में खाद्यान्न उत्पादन बढऩे का अनुमान है। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत के राज्यों पंजाब और हरियाणा में गेहूं की कटाई में देरी होने के कारण इन राज्यों में कपास की बुवाई में देरी होने की संभावना है। फरवरी महीने में वर्षा होने के कारण इन राज्यों में गेहूं की कटाई 10 से 15 दिन की देरी से शुरू हो पाई है। उत्तर भारत में कपास की बुवाई अगले दो-तीन सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा चालू वर्ष के लिए मौसम के पूर्वानुमान अगले सप्ताह जारी किए जाने की संभावना है। गेहूं उत्पादन पर उन्होंने कहा कि चालू रबी में गेहूं की पैदावार अच्छी रहने का अनुमान है। वैसे भी गेहूं उत्पादन को लेकर ज्यादा चिंता करने की बात नहीं है क्योंकि केंद्रीय पूल में गेहूं का बंपर स्टॉक मौजूद है। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2012-13 में गेहूं का उत्पादन 923 लाख टन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2011-12 में 948.8 लाख टन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 242.07 लाख टन गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक जमा है जो तय मानकों बफर के मुकाबले कई गुना है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कई जिलें सूखे से प्रभावित हुए है। इन जिलों में पीने की समस्या के साथ ही चारे की कमी बनी हुई है जो चिंताजनक है। सूखे की वजह से महाराष्ट्र में गन्ने की बुवाई पर असर जरूर पड़ेगा लेकिन गन्ने की बुवाई ज्यादातर सिंचिंत क्षेत्रों में ही होती है। चालू रबी में सूखे से महाराष्ट्र में दलहन उत्पादन प्रभावित जरूर हुआ है लेकिन अन्य राज्यों में दलहन की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से पैदावार दूसरे आरंभिक अनुमान के बराबर ही होने का अनुमान है। (Business Bhaskar.....R S Rana)

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