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16 अप्रैल 2013

लुढ़का सोना तो पिघलने लगीं धातुएं

लगातार दूसरे दिन भी सोने और चांदी के भाव में तेज गिरावट का सिलसिला जारी रहा, जिसके कारण ब्रोकरों ने मार्जिन बचाने के लिए जमकर बिकवाली की। तेज गिरावट सोने और चांदी तक सीमित नहीं रही बल्कि तांबे, प्राकृतिक गैस और कच्चे तेल जैसी जिंसों में भी काफी गिरावट आई। एमसीएक्स पर सोने और चांदी दोनों पर लोअर सर्किट लगा। मुंबई के जवेरी बाजार में सोना 1,330 रुपये गिरकर 26,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। चांदी भी 3,615 रुपये गिरकर 46,990 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। भारत में यह सोने का पिछले 19 महीने का निम्नतम स्तर है जबकि चांदी का यह 26 महीने का निम्नतम स्तर है। रेलिगेयर ब्रोकिंग में प्रभारी (धातु, मुद्रा और ऊर्जा शोध) सुगंध सचदेव कहते हैं, 'सोना अब सस्ते भाव में खरीदने और महंगे भाव में बेचने वाली जिंस बन गया है।Ó उन्होंने बताया कि ज्यादातर जिंसों के भाव में आई तेज गिरावट की वजह ब्रोकरों द्वारा घबराहट में की गई बिकवाली है। मार्जिन और नुकसान से बचने के लिए की गई बिकवाली ने बाजार में खलबली मचा दी। चीन की विकास दर उम्मीद से कम रहने का असर भी सोने पर पड़ा। चीन के राष्टï्रीय सांख्यिकी ब्यूरो की ने आज मार्च तिमाही के आंकड़े जारी किए, जिनके अनुसार इस अवधि में चीन की अर्थव्यवस्था ने 7.7 फीसदी की दर से विकास किया, जबकि इसने दिसंबर तिमाही में 7.9 फीसदी दर से विकास किया था। विश्लेषकों को यह दर 8 फीसदी रहने की उम्मीद थी। बाजार को आशंका है कि साइप्रस अपने पास मौजूद 13.9 टन सोना कर्ज चुकाने के लिए बेच सकता है। उससे बड़ी चिंता इस बात की है कि कर्ज चुकाने के लिए बाकी यूरोपीय देश भी इसी ढर्रे पर चल पड़े तो सोने में और भी गिरावट आ सकती है। इटली के पास 2452 टन, स्पेन के पास 281.6 टन, पुर्तगाल के पास 382 टन, आयरलैंड के पास 6 टन और ग्रीस के पास 112 टन सोना है। भारतीय बाजार में एमसीएक्स के कई कारोबारियों के सामने मार्जिन कॉल का ही विकल्प था क्योंकि इन जिंसों में और गिरावट आने के बाद नुकसान कम करने की कवायद शुरू हो गई थी। ब्रेंट क्रूड गिरकर 101 डॉलर प्रति बैरल हो गया जबकि नाइमैक्स 89 डॉलर पर कारोबार कर रहा था। इसी तरह लंदन मेटल एक्सचेंज पर तांबा 17 महीने के निम्नतम स्तर 7,189 डॉलर प्रति टन पर कारोबार कर रहा था। दिन भर के कारोबार के दौरान यह 7,085 डॉलर तक लुढ़क गया था। कई अन्य धातुओं में भी गिरावट का दौर जारी था। विदेश मुद्रा बाजार विशेषज्ञों के अनुसार सोने की आगे की तस्वीर भी उजली नहीं दिख रही है क्योंकि आज जून गोल्ड वायदा के करीब 400 टन सोने की बिकवाली की गई, जो कुल खनन उत्पादन का 15 फीसदी है। सोने में आई इस गिरावट के कारण कई ब्रोकिंग कंपनियों ने दिन ही दिन में अपने अनुमान बदल दिए। निकट भविष्य के लिए सोने पर अनुमान व्यक्त करने वाली कुछ ब्रोकिंग कंपनियों ने पाया कि सोना महज कुछ घंटों के भीतर उनके अनुमान से भी नीचे गिर चुका है। एक जोखिम सलाहकार कंपनी कॉमट्रेंडï्ज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा कि उन्होंने अगले तीन महीने में सोने का भाव गिरकर 1,385 डॉलर प्रति औंस रहने का अनुमान लगाया था लेकिन सोना महज तीन घंटे के दौरान ही वहां तक गिर गया। उन्होंने कहा, 'सोना मध्यावधि के अनुमान 1,385 डॉलर प्रति औंस तक सोमवार को ही लुढ़क गया। अब यह 1,300 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। सोने में बेहद कम समय में ही तेज बढ़ोतरी से भारी गिरावट शुरू हो गई है। करीब 12 साल तक तेजी के बाद एक या दो साल तक गिरावट रहना लाजिमी है। लेकिन मुद्रास्फीति से जुड़ी चिंता के कारण लंबी अवधि के दौरान इसमें तेजी का दौर आएगा।Ó सोने और चांदी के भाव में आई इस तेज गिरावट के कारण मुंबई के असंगठित आभूषण विनिर्माताओं ने तो दोपहर में अपनी दुकानों पर ताले लगा दिए थे। आमतौर पर ये आभूषण विनिर्माता कमोडिटी एक्सचेंजों पर हेजिंग नहीं करते हैं और इसलिए उन्हें उनके पास मौजूद भंडार पर भी नुकसान उठाना पड़ा। जवेरी बाजार में कई लोगों का कहना है कि बाजार स्थिर होने और शादी-ब्याह का मौसम व 13 मई को अक्षय तृतीया होने से सोने और चांदी के भाव में तेजी आने की उम्मीद है। इसी उम्मीद में स्टॉकिस्टों ने बैंकों से कम भाव पर सोना खरीदा। गोल्ड लोन कंपनियों के लुढ़के शेयर सोने में गिरावट का असर सोने के बदले ऋण देने वाली कंपनियों और ज्वैलरी कंपनियों के शेयरों पर भी दिखा। सबसे ज्यादा 13.13 फीसदी गिरावट मुथूट फाइनैंस के शेयर में आर्ई और यह 131.35 रुपये पर बंद हुआ। मण्णपुरम फाइनैंस का शेयर 9.84 फीसदी गिरकर 17.40 रुपये पर आ गया। पीसी ज्वैलर का शेयर 5.65 फीसदी, थांगमयिल ज्वैलरी 5.45 फीसदी, टाइटन इंडस्ट्रीज 4.37 फीसदी और गीतांजलि जेम्स 2.40 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। (BS Hindi)

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