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31 मई 2013

जीएम फसलों का साथ दे जीएम विरोधी कार्यकर्त्ता, मार्क लिनस

ऑक्सफ़ोर्ड। सुप्रीम कोर्ट के आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के क्षेत्र परीक्षण पर रोक लगाने के फैसले पर केंद्र सरकार ने अपना विरोध दर्ज किया है। गौरतलब है कि जो लोग जीएम् फसलों का विरोध कर रहे थे वह भी अब वैज्ञानिक आधार को लेकर इसके पक्ष में बोलने लगे है। ऑक्सफ़ोर्ड में स्थित लेखक मार्क लिनस जो एक ग्रीन एक्टिविस्ट है, जो आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों का काफी विरोध कर रहे थे। उन्होंने जीएम फसलों के क्षेत्र को भी नष्ट कर दिया था। पर अपने इस कृत्य को निंदनीय बताते हुए माफ़ी भी मांगी है। उन्होंने कहा कि हम एक महत्वपूर्ण तकनीकी विकल्प को गलत समझकर विकास में रूकावट ला रहे है। साथ ही उन्होंने कहा कि ग्रीनपीस और वंदना शिवा जैसे अन्य कार्यकर्ताओं को भी इसका साथ देने की जरुरत है। रॉयल सोसाइटी द्वारा मार्क लिनस के सिक्स डिगरी किताब को पुरस्कृत किया गया। जिसमें लिनस ने जी एम फसलों के वैज्ञानिक संशोधन का अभ्यास किया और जीएम फसलों के प्रति उनकी जो धारणाये थी उन्हें मिथ्य करार दिया। लिनस ने कहा कि मुझे लगता था जीएम फसलों में रसायनों का प्रयोग बढेगा। यह फसल केवल बड़ी कंपनियों को ही फायदा पहुचायेगी। पर ऐसा न होते हुए यह किसानों को भी फायदा पहुचायेगा और रासयानो के उपयोग से फसल को नष्ट करनेवाले कीटकों के आक्रमण से भी बचायेगा।

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