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11 जुलाई 2013

सोने का सिक्का खरीदने जा रहे हैं तो पहले यह सच्चाई जान लीजिए

मुंबई। चालू खाते के घाटे को कम करने की सरकार की कोशिशों के समर्थन में अब ज्वैलर भी आगे आ गए हैं। ज्वैलरों ने अगले छह महीने तक ग्राहकों और कंपनियों को सोने के सिक्के व बिस्कुट न बेचने का फैसला किया है। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन ने बुधवार को यह घोषणा की। फेडरेशन के सदस्यों में 40 हजार ज्वैलर शामिल हैं। उसका दावा है कि 65 फीसद सदस्यों ने इस फैसले पर अमल शुरू कर दिया है। इनकी बाजार हिस्सेदारी 80 फीसद है। इससे चालू वित्त वर्ष में सोना आयात में 250-300 टन तक की कमी आने की उम्मीद है। वर्ष 2012 में 860 टन सोने का देश में आयात हुआ था। इस दौरान पीली धातु की कुल बिक्री में से 35 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी सिक्कों और बिस्कुटों की रही थी। फेडरेशन के चेयरमैन हरेश सोनी ने बताया कि संकट के इस समय सरकार का समर्थन कर ज्वैलरों को खुशी हो रही है। अगले छह महीने या फिर चालू खाते के घाटे के कम होने तक सिक्कों और बिस्कुटों की बिक्री नहीं की जाएगी। हालांकि, सरकार को उत्पादन बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि मूल्य व‌िर्द्धत निर्यात को बढ़ाया जा सके। उन्होंने बताया कि फेडरेशन ने पिछले एक हफ्ते में देशभर के स्थानीय ज्वैलर एसोसिएशनों के साथ एक दर्जन से ज्यादा बैठकें की। इस दौरान उन्हें समझाया गया कि चालू खाते के बढ़ते घाटे का अर्थव्यवस्था और लोगों पर क्या नुकसान हो रहा है। साथ ही देशभर के अन्य ज्वैलरों, निर्माताओं, बड़े ज्वैलरी रिटेल चेन से यह अपील की गई कि वे सोने के सिक्के व बिस्कुट न बेंचे। इन सभी ने फेडरेशन को आश्वस्त किया है कि वे अब इसकी बिक्री रोक देंगे। इस फैसले से आभूषणों की बिक्री और रत्न व आभूषण क्षेत्र के रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। फेडरेशन के देशभर में कुल छह लाख सदस्य हैं। इसमें ज्वैलरों के अलावा मैन्यूफैक्चरर्स, थोक विक्रेता, डिस्ट्रीब्यूटर, डिजाइनर आदि भी शामिल हैं। (Dainik Jagran)

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