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15 जुलाई 2013

जून में रबर उत्पादन में गिरावट

केरल में प्राकृतिक रबर का उत्पादन जून के दौरान 12.9 फीसदी घटा कर 54,000 टन पर रहा। राज्य में भारी बारिश की वजह से रबर के उत्पादन प्रभावित हो रहा है। रबर की किल्लत की वजह से विभिन्न ग्रेड की कीमतों में भारी इजाफा हुआ है। रबर बोर्ड के ताजा आंकड़ों के अनुसार पिछले साल जून में मासिक उत्पादन 62,000 टन पर था। रबर उत्पादकों के अनुसार उत्पादन जुलाई में भी घटेगा, क्योंकि ज्यादातर बागानों में रबर निकालने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। हालांकि रबर पेड़ों को रेनगार्ड के जरिये सुरक्षा मुहैया कराई गई है। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि भारी बारिश के साथ मजबूत हवा से रेन-गार्डिंग को भी काफी हद तक नुकसान पहुंचा है। इससे उत्पादन में कमी की आशंका बढ़ गई है। पिरावम स्थित रबर बागान मालिक पी एम जैकब कहते हैं कि रबर उत्पादन इस बार भी धीमा रह सकता है। मई 2013 में रबर उत्पादन 59,000 टन पर था। अप्रैल-जून 2013 तिमाही के लिए कुल उत्पादन 172,700 टन की तुलना में 3.9 फीसदी की गिरावट के साथ 166,000 टन पर रहा। सामान्य तौर पर मॉनसून को रबर उत्पादन के लिए अच्छा माना जाता है, क्योंकि ठंडा मौसम बेहतर पैदावार के लिए अनुकूल है। लेकिन भारी बारिश से केरल के सभी उत्पादक क्षेत्रों में रबर निकालने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। आंकड़ों के अनुसार जून में खपत भी घटा कर 82,000 टन रह गई जो पिछले साल के समान अवधि में 83,930 टन थी। रबर कीमतों में तेजी की वजह से रबर निर्माण क्षेत्र, खासकर छोटे और मझोले सेगमेंटों में चिंता बढ़ गई है। रबर आधारित विभिन्न सामानों के उत्पादन में बड़ी कमी आई है। पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कुल खपत 251,370 टन के बजाय अनुमानित तौर पर 247,000 टन थी जो 1.7 फीसदी की कमी है। अप्रैल-जून की अवधि के दौरान रबर आयात 59,119 टन के मुकाबले 55,000 टन पर रहा और निर्यात 1,755 टन पर रहा जो 2012 की अप्रैल-जून अवधि में 3,025 टन था। पूर्वोत्तर में 4.5 लाख हेक्टेयर रबर क्षेत्र रबर बोर्ड ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि रबड़ की खेती के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है। संयुक्त रबर उत्पादन आयुक्त वी. मोहनन ने कहा, 'क्षेत्र में जलवायु की स्थिति अनुकूल है और भूमि की उपलब्धता संभव है, इसलिए रबड़ बोर्ड ने 4.5 लाख हेक्टेयर भूमि रबड़ की खेती के दायरे में लाने का लक्ष्य रखा है।Ó उन्होंने बताया कि त्रिपुरा में पर्यावरण संतुलन बिगाड़े बगैर और अधिक क्षेत्र को प्राकृतिक रबर की खेती के दायरे में लाया जा सकता है। वर्तमान में, 61,000 हेक्टेयर भूमि पर रबर की खेती की जा रही है जिससे राज्य में जनजातियों को जीविका उपलब्ध हो रही है। (BS Hindi)

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