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20 अगस्त 2013

एनएसईएल नहीं कर पाया पूरी पेमेंट!

जिसका डर था, वही हुआ। नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (एनएसईएल) अपने निवेशकों के पहली किश्त के पैसे नहीं लौटा पाया है। एनएसईएल को 175 करोड़ रुपये का पहला भुगतान करना था। जबकि एक्सचेंज के एस्क्रो अकाउंट में सिर्फ 84 करोड़ रुपये ही थे। हालांकि, कमोडिटी वायदा रेगुलेटर एफएमसी ने एनएसईएल को निर्देश दिया है कि एक्सचेंज पास जितने भी पैसे हैं वो निवेशकों में बिना किसी भेदभाव के बांटे। एफएमसी ने कहा है कि मिली कुल रकम में से आईबीएमए के सदस्यों को भी पेमेंट की जाए। आईबीएमए के वास्तविक कारोबारियों को ही पहले भुगतान किया जाए। वहीं, एफएमसी ने एनएसईएल को वैट और एक्सचेंज फंड युटिलाइजेशन का भुगतान अभी नहीं करने का निर्देश दिया गया है। पेमेंट के बाद निवेशकों का नाम और पूरा ब्यौरा एनएसईएल को अपनी वेबसाइट पर लगाना होगा। एनएसईएल को कुल 5500 करोड़ रुपये लौटाने हैं, जिसे 30 हफ्तों में चुकाने की योजना है। लेकिन, बड़ा सवाल है कि एनएसईएल में इतना बड़ा पेमेंट संकट कैसे खड़ा हो गया। एनएसईएल को सिर्फ एक दिन के कॉन्ट्रैक्ट में कारोबार की इजाजत थी। लेकिन, नियमों के अभाव में एक्सचेंज ने कुछ प्रोडक्ट्स में शॉर्ट सेलिंग की इजाजत दी थी। शॉर्ट सेलिंग एफएमसी ने आपत्ति जताते हुए एक्सचेंज को कारोबार से रोका। कारोबार पर रोक से 5500 करोड़ रुपये के सौदों के सेटलमेंट खड़ी हुई है। एफएमसी की सख्ती के बाद एक्सचेंज को अपना सेटलमेंट प्लान लाना पड़ा। निवेशकों को अब बस सरकार से ही कोई उम्मीद है। निवेशक और ब्रोकरों का कहना है कि वो एनएसईएल मामले में कानूनी रास्ता अपना सकते हैं। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के चेयरमैन मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक सरकार को इस मामले को निटपाने के लिए एनएसईएल को अपने हाथ में ले लेना चाहिए। निवेशक एनएसईएल के रवैये से दुखी हैं। इन्वेस्टर ग्रीवांस फोरम के प्रेसिडेंट किरीट सोमैय्या के मुताबिक एफएमसी और सरकार को इस मामले की जांच सीबीआई से करानी चाहिए। (Moneycantrol.com)

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