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25 सितंबर 2013

एफएमसी ने जिंस एक्सचेंजों के निवेशकों को किया आगाह

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) चाहता है कि जिस तरह जिंस एक्सचेंजों का प्रबंधन किया जा रहा है, ऐसी स्थिति में संस्थागत निवेशक सतर्क रहें। नियामक ने कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनमें कहा गया है कि बोर्ड के आधे निदेशक सार्वजनिक संस्थाओं के होने चाहिए। एफएमसी ने एंकर निवेशकों की बोर्ड सीटों को भी उनकी शेयरधारिता के अनुपात में सीमित कर दिया है। संस्थागत निवेशकों का एक कंपनी में निवेश (इस मामले में जिंस एक्सचेंज) की कुल निवेश बुक और एक्सचेंज की स्थापना के समय फेस वैल्यू पर किए गए निवेश की तुलना में बहुत अधिक नहीं है। उनका हिस्सेदारी कम हो जाती है, इसलिए वे इसमें कम रुचि लेते हैं। हालांकि अब नियामक ने उनसे परिचालन, निवेश, कौलेटरल मैनेजमेंट और एक्सचेंज के संचालन में सक्रिय होने को कहा है। इस बैठक में मौजूद रहे एक व्यक्ति के मुताबिक एफएमसी ने उन्हें अपने नए दिशानिर्देशों के बारे में बताया। एफएमसी ने संस्थागत निवेशकों से कहा कि अगर उनकी हिस्सेदारी इतनी नहीं है कि वे बोर्ड में सीट की मांग कर सकें तो उन्हें एकजुट होकर बोर्ड में अपना एक सामान्य प्रतिनिधि भेजना चाहिए। एफएमसी ने उन संस्थागत निवेशकों की बैठक बुलाई थी, जिनकी एक्सचेंज में एक फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी थी। बैठक बुलाने का मकसद संस्थागत निवेशकों को अपने उन दिशानिर्देशों से अवगत कराना था, जो उसने एक्सचेंजों को जारी किए हैं। दो फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी वाले बड़े निवेशकों को आज की बैठक में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। जिंस एक्सचेंज में करीब 1 फीसदी हिस्सेदारी वाले छोटे निवेशक एक्सचेंज के कामकाज को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं होते। वे केवल निवेश करते हैं और फिर भूल जाते हैं। एक्सचेंज के प्रदर्शन में समग्र सुधार के लिए निवेशकों द्वारा कोई उल्लेखनीय सुझाव नहीं दिए जाते। माना जा रहा है कि हाल में नियामक ने निवेशकों से कहा था कि नई हिस्सेदारी हस्तांतरण के मामले में निजी निवेशकों को पांच फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी अधिग्रहण करने की स्वीकृति नहीं दी जाए। हालांकि इस बारे में नियामक ने औपचारिक रूप से कोई बात नहीं कही है (BS Hindi)

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