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18 नवंबर 2013

कालीमिर्र्च की पैदावार में बढ़ी रुचि

काली मिर्च की कीमतें अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के साथ ही अगले साल वियतनाम और भारत में इसकी पैदावार को लेकर दिलचस्पी बढ़ गई है। अगले साल बाजार में काली मिर्च की कीमतें तय करने में यह कारक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आने वाले समय में काली मिर्च की आपूर्ति कम होगी या इसका उत्पादन बढ़ेगा, यह सवाल किसानों, कारोबारियों और निर्यातकों को खासा परेशान कर रहा है। केरल में कटाई शुरू होने के साथ ही वैश्विक फसल सत्र भारत में अगले महीने शुरू हो जाएगा। सबसे पहले केरल के दक्षिणी जिलों, इसके बाद इडुकी क्षेत्र से काली मिर्च की आवक होती है। इसके साथ ही मालाबार क्षेत्र से भी आपूर्ति शुरू हो जाती है। अंत में कर्नाटक से भी आवक शुरू हो जाती है। हालांकि अभी 45,000 टन पैदावार का अनुमान है लेकिन कारोबारियों और किसानों को यह आंकड़ा 35,000 टन ही रहने की उम्मीद है। इडुकी जिले के किसानों के अनुसार अगले सत्र में उत्पादन 40 प्रतिशत तक कम होगा। इडुकी में कुमिली के एक किसान ने कहा कि खराब मौसम, रकबे में कमी और केरल के विभिन्न जिलों में पत्तों में बीमारियां लगने के कारण उत्पादन कम रह सकता है। अधिक बारिश के कारण राज्य में काली मिर्च के बड़े उत्पादक जिलों में काली मिर्च के फू लों को खासा नुकसान पहुंचा है। लगातार 90 दिनों में भारी बारिश से फू लों को भारी क्षति पहुंची है। विभिन्न कारणों से कर्नाटक में उत्पादन कम रह सकता है। यहां फसल 4000-5000 टन कम रह सकती है जिससे कुल उत्पादन 20,000 टन के आस-पास रह सकता है। अगले सत्र में केरल में उत्पादन खासा कम रह सकता है। कोच्चि के एक बड़े कारोबारी ने कहा कि कुल उत्पादन 35,000 टन रह सकता है। इस बीच, काली मिर्च के सबसे बड़े उत्पादक देश वियतनाम के किसान बंपर पैदावार की उम्मीद कर रहे हैं। 2014 में यहां 150,000 टन काली मिर्च की पैदावार की उम्मीद है। वियतनाम में काली मिर्च उत्पादन सत्र फरवरी तक शुरू हो जाता है। हो-ची-मिन्ह शहर के एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार काली मिर्च की फसल इस बार अच्छी है और फसल कीटों और किसी भी बीमारी से पूरी तरह सुरक्षित है। (BS Hindi)

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