कुल पेज दृश्य

23 नवंबर 2013

कमजोर आंकड़ों से पिघलीं मूल धातुएं

चीन के कमजोर विनिर्माण आंकड़ों और अमेरिकी केंद्रीय बैंक के तीसरे दौर के प्रोत्साहन पैकेज (क्यूई3) में कमी की बढ़ी चिंताओं से पिछले एक महीने के दौरान मूल धातुएं 8.27 फीसदी गिरी हैं। एचएसबीसी का चाइना परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) नवंबर में गिरकर 50.4 के स्तर पर आ गया है, जो 50 की कंस्ट्रैक्शन लाइन से मामूली ही ऊपर है। अक्टूबर में पीएमआई सात महीने के सर्वोच्च स्तर 50.9 के स्तर पर था। इससे आगामी समय में चीन की मूल धातुओं की खरीद पर अनिश्चितता बन गई है। कॉमट्रेंज रिसर्च के निदेशक ज्ञानशेखर त्यागराजन ने कहा, 'मूल धातुओं की कीमतों में गिरावट पर अमेरिका के प्रोत्साहन पैकेज में कमी करने की चर्चाओं से ज्यादा असर चीन के कमजोर विनिर्माण आंकड़ों का पड़ रहा है। इसके अलावा मूल धातुओं का स्टॉक भी लगातार बढ़ रहा है।Ó ब्लूमबर्ग सर्वे के मुताबिक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन की वृद्धि दर अगले साल 7.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जिसकी वृद्धि इस साल 7.6 फीसदी के स्तर पर है। मूल धातुओं की खपत के लिए आर्थिक वृद्धि एक मापक है, लिहाजा अलौह धातुओं की खपत आने वाले समय में कम रहने की संभावना है। अर्थशास्त्रियों ने कम्यूनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में चीनी सरकार के आर्थिक सुधारों की घोषणा करने का अनुमान लगाया था। चार दिन तक चला यह सम्मेलन पिछले सप्ताह हुआ, जिसे तीसरा सम्मेलन नाम दिया गया था। लेकिन चीनी सरकार ने बाजार को निराश किया है। इसलिए आगे मूल धातुओं को लेकर चिंता बनी रहेगी। इस बीच बार्कलेज कैपिटल की हाल की रिपोर्ट में चीन का तांबे का आायात मासिक आधार पर 27 फीसदी बढ़कर 2,78,000 टन रहा है। विश्लेषकों ने तांबे की मांग में बढ़ोतरी की वजह निचले स्तरों पर सौदेबाजी में आई तेजी है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रुपये में दो फीसदी से ज्यादा गिरावट से वैश्विक कीमतों में गिरावट का असर भारत में ज्यादा नहीं दिखा है। ऐंजल ब्रोकिंग में विश्लेषक भावेश चौहान ने कहा, 'रुपये में गिरावट से भारतीय मूल धातु विनिर्माता कंपनियों की आमदनी में सुधार होगा। हालांकि बहुत सी एल्युमीनियम कंपनियों के उत्पादन में कटौती की घोषणा के बावजूद वैश्विक स्तर पर अभी उत्पादन में कोई गिरावट दिखाई नहीं दी है। इसके बावजूद हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2015 में एलएमई पर कीमतें सुधरेंगी, क्योंकि उत्पादन में कटौती से मांग-आपूर्ति का अंतर खत्म हो जाएगा।Ó इंटरनैशनल कॉपर स्टडी ग्रुप (आईसीएसजी) के आंकड़ों से पता चलता है कि ज्यादा उत्पादन के चलते वैश्विक बाजार में रिफाइंड तांबे का सरप्लस अगस्त में 21,000 टन पर पहुंच गया, जबकि इससे पहले के लगातार तीन महीनों में इसकी किल्लत थी। त्यागराजन का मानना है कि मूल धातुओं में नरमी लंबी अवधि तक जारी रहेगी, क्योंकि कमजोर आर्थिक सुधारों से एल्युमीनियम, निकल और जस्ते की मांग कम रहेगी।a (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: