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27 नवंबर 2013

कर्नाटक में चीनी मिलों ने शुरू की पेराई

उत्तरी कर्नाटक में चीनी मिल मालिक गन्ने की पेराई के लिए तैयार हो गए हैं। उन्होंने राज्य सरकार द्वारा तय कीमत चुकाने पर अनिच्छा जताते हुए गन्ने की पेराई शुरू करने से इनकार कर दिया था। बेलगाम और बगलकोट जिलों में सभी चीनी फैक्टरियों ने पिछले पांच दिनों से पेराई शुरू कर दी है। हालांकि मिलें अपने रुख पर अड़ी हैं और उन्होंने घोषणा की है कि वे गन्ने का भुगतान 2000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से करेंगे। हालांकि राज्य सरकार ने सोमवार को अधिसूचना जारी करते हुए घोषणा की कि उत्तरी कर्नाटक में गन्ना खरीद की न्यूनतम कीमत 2,500 रुपये होगी। कर्नाटक देश का तीसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है और सालाना वार्षिक उत्पादन में इसका 13 फीसदी योगदान होता है। चीनी वर्ष 2012-13 में राज्य की चालू 58 मिलों ने 330 लाख टन की पेराई की थी, जिससे 34.3 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ। हालांकि किसानों ने ऊंची कीमत की मांग की है। लेकिन उन्होंने कटाई और पेराई में देरी के चलते वजन की चिंता से अपने क्षेत्र की फैक्टरियों को गन्ने की आपूर्ति शुरू कर दी है। बगलकोट के किसानों के नेता मुत्तप्पा कुमार ने कहा, 'बगलकोट जिले की सभी 9 फैक्टरियों ने पेराई शुरू कर दी है। किसान अपनी उपज फैक्टरियों में पहुचने और पेराई होने के बाद आंदोलन शुरू करने की योजना बना रहे हैं। शुरुआत में वे फैक्टरियों द्वारा दी जा रही कीमत 2000 रुपये प्रति टन को स्वीकार करेंगे और शेष राशि के लिए अपना आंदोलन जारी रखेंगे।Ó समीरवाडी़ चीनी फैक्टरी ने 2,000 रुपये प्रति टन की दर से किसानों को चेक देने शुरू कर दिए हैं। इसी तरह बेलगाम जिले की फैक्टरियों ने भी पेराई शुरू कर दी है और किसान अपना गन्ना उन्हें आपूर्ति कर रहे हैं। इस बीच कर्नाटक राज्य रैयत संघ (केआरआरएस) ने बेलगाम में सुवर्ण विधान सौंध के बाहर विरोध-प्रदर्शन शुरू कर दिया है, जहां राज्य विधानसभा का शीतकालीन सत्र चल रहा है। उन्होंने गन्ने की ऊंची कीमत देने और बीटी कपास की खेती में हुए नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त हर्जाना देने की मांग की है। कर्नाटक में 65 चीनी फैक्टरियां हैं, जिनमें से 58 चल रही हैं। इनमें से 22 सहकारी मिलें, दो सरकारी और 34 निजी हैं। निजी मिलों में से 33 का स्वामित्व या नियंत्रण राजनेताओं के हाथ में है। कर्नाटक में बेलगाम जिला सबसे ज्यादा गन्ने का उत्पादन करता है, जिसका राज्य के कुल उत्पादन में करीब 35 फीसदी हिस्सा है। इस जिलें 21 चीनी फैक्टरियां हैं और यहां हर साल 1.3 करोड़ टन गन्ने का उत्पादन होता है, जबकि राज्य में कुल गन्ना उत्पादन 3.5 करोड़ टन होता है। बगलकोट में 9 फैक्टरियां हैं, जबकि बीजापुर, गुलबर्गा और डावानागरे प्रत्येक में तीन चीनी मिलें हैं। (BS Hindi)

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