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27 नवंबर 2013

ज्यादा कीमत की आस में कम कपास

पंजाब और हरियाणा में कपास की आवक मौजूदा सत्र में 30 फीसदी तक कम हो गई है। अधिक कीमत की चाह में किसान मंडियों में कपास की आपूर्ति नहीं कर रहे हैं। इस स्थिति से कताई क्षेत्र पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उत्तर भारत कपास संघ के अध्यक्ष महेश शारदा ने कहा, 'पंजाब और हरियाणा के कपास उत्पादक अधिक कीमतों की चाह में आपूर्ति नहीं कर रहे हैं और उसे अपने पास ही जमा कर रहे हैं। इससे कपास की आवक कम हो गई है।' इन दोनों राज्यों में कपास की कीमतें 5,000 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल हैं। कारोबारियों का कहना है कि यह पिछले साल की कीमतों के मुकाबले लगभग 30 फीसदी तक कम है। मौजूदा सत्र में कपास का उत्पादन 30 फीसदी कम होकर इन दोनों राज्यों में 6.2 लाख गांठ रह गया है। पिछले साल की समान अवधि में पंजाब और हरियाणा में कपास की आवक 9.25 लाख गांठ थी। जानकारों का कहना है कि कपास किसान, जिन्होंने बासमती चालव की भी खेती की थी, फिलहाल कपास बेचने के मूड में नहीं दिख रहे हैं क्योंकि उन्हें बासमती की बिक्री से पहले ही ऊंची कीमतें मिल रही हैं। एक जानकार ने कहा, 'कुछ किसानों को बासमती चावल की बिक्री से ऊंची कीमतें प्राप्त हुई हैं। इसे देखते हुए वे कपास की आपूर्ति के प्रति लापरवाही दिखा रहे हैं।Ó पंजाब और हरियाणा में खरीफ विपणन सत्र के दौरान बासमती धान की कीमतों में 50 फीसदी से अधिक तेजी आई है। कारोबारियों का कहना है कि राजस्थान में चुनाव के कारण भी इस पर असर पड़ा है। इनका कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों अबोहर, फाजिल्का, सिरसा, हिसार के किसान चुनाव में व्यस्त थे, जिससे आपूर्ति बाधित हुई है। कपास की आवक कम होने से पंजाब और हरियाणा में कताई क्षेत्र के लिए संकट खड़ा हो गया है। इस क्षेत्र में लगे लोगों का कहना है कि उनकी उत्पादन क्षमता 80 फीसदी तक कम हो गई है। पंजाब कपास कताई संघ के अध्यक्ष भगवान बंसल ने कहा, 'हमारी ज्यादातर कताई इकाइयों में क्षमता उपयोग कपास की कमी के कारण 70-80 फीसदी तक कम हो गया है।Ó पंजाब और हरियाणा में क्रमश: 165 और 140 कताई इकाइयां हैं। इस बीच, बड़ी बुनकर इकाइयां अपनी जरूरतों के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्टï्र से कपास खरीद रही हैं। वद्र्धमान टैक्सटाइल के मुख्य महाप्रबंधक आई जे धुरिया ने कहा, 'बुनकर इकाइयां मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्टï्र जैसे राज्यों से कपास खरीद रहे हैं। इन क्षेत्रों में दरें भी 3-4 फीसदी सस्ती हैं।' (BS Hindi)

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