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04 दिसंबर 2013

समर्थन मूल्य से फिसला चना

बेहतर घरेलू मांग के बावजूद चने की कीमतों में गिरावट का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हाजिर और वायदा बाजार में चना अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)से भी नीचे बिक रहा है। इस समय किसानों को पिछले साल की अपेक्षा चने में प्रति क्विंटल करीब 2,000 रुपये का घाटा सहना पड़ रहा है। लगातार कीमतों में गिरावट के बावजूद किसान एक बार फिर चने पर दांव लगा रहे हैं। चालू रबी सीजन में चने का रकबा एक बार फिर रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है। हाजिर और वायदा दोनों जगह चने के बुरे दिन खत्म होने का नाम नहीं ले रहे हैं। हाजिर बाजार में चना पिछले तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। पिछले एक महीने में चने की कीमतों में करीब 10 फीसदी और एक साल के अंदर करीब 40 फीसदी की गिरावट हो चुकी है। मंगलवार को एनसीडीईएक्स पर चना 2,923 रुपये प्रति क्विंटल के निचले स्तर तक पहुंच गया। हाजिर बाजार में चना 2,900 रुपये प्रति क्विंटल से भी नीचे लुढ़क गया। जबकि पिछले साल हाजिर बाजार में चना दिसंबर महीने में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास कारोबार कर रहा था। बीकानेर मंडी में चने का कारोबार करने वाले सुमेश चौधरी के अनुसार इस साल चना किसानों और कारोबारियों के लिए घाटे वाली फसल साबित हुई है। भाड़ा, मंडी कर और दूसरे खर्च काटने के बाद किसान के हाथ में एक क्विंटल चने का दाम 2,500 रुपये भी नहीं आ रहा है। जबकि सरकार ने चने का एमएसपी बढ़ाकर 3,100 रुपये प्रति क्विंटल तय कर दिया है। कारोबारियों की मानी जाए तो इस समय घरेलू बाजार में चने की मांग अच्छी है। ठंड की शुरुआत और शादी-विवाह का सीजन होने के कारण उत्तर भारत सहित देश के सभी हिस्सों में चने की मांग बढ़ी है। इसके बावजूद कीमतों में गिरावट हो रही है। चने की कीमतों में गिरावट पर इंडिया इन्फोलाइन की नलिनी राव कहती हैं कि दरअसल अच्छे दाम पाने की उम्मीद में किसानों ने सालभर माल रोक कर रखा, लेकिन इसका उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ है। अंतत: किसान अपना माल बाजार में बेच रहे हैं, मांग बेहतर है लेकिन उसके साथ आपूर्ति भी अधिक हो रही है। इस वजह से कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा चालू रबी सीजन में चने की बुआई भी पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान लगाया जा रहा है, क्योंकि देर तक हुई बारिश के कारण खेतों में नमी बहुत अच्छी है जिसके कारण पैदावार और फसल दोनों पिछले साल से ज्यादा होने वाली है। कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार चालू रबी सीजन में देश में दलहन फसलों की बुआई 104.97 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की रिकॉर्ड बुआई 102.49 लाख हेक्टेयर से अधिक है। (BS Hindi)

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