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28 जनवरी 2014

आभूषणों की बिक्री में भारी बढ़ोतरी

नोटों को वापस लेने पर जारी आरबीआई की घोषणा से कालाधन रखने वाले लोगों ने हड़बड़ी में सोमवार को आभूषणों की भारी खरीदारी की। इससे आभूषणों की बिक्री में 10-15 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। कालाधन रखने वाले 2005 से पहले छपे नोटों को आभूषणों में तब्दील करने के लिए भारी संख्या में उमड़े। आभूषणों की भारी बिक्री के चलते सोमवार को देश में सोने की बिक्री पर प्रीमियम 33 फीसदी घटकर 80 डॉलर प्रति औंस पर आ गया, जो शुक्रवार को 120 डॉलर प्रति औंस था। खुदरा आभूषण विक्रेताओं और सराफा डीलरों ने कम कीमत के लालच में ग्राहकों को लुभाया। उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक की इस घोषणा से चिंता है कि 2005 से पहले के नोटों को 1 अप्रैल 2014 से वापस लेकर इनकी जगह नए नोट जारी किए जाएंगे, जिनमें सुरक्षा के कुछ फीचर्स जोड़े जाएंगे। आरबीआई के इस कदम का मकसद सिस्टम में कालेधन को आने से रोकना है। लेकिन कालाधन चरणबद्ध तरीके से आभूषण क्षेत्र में आने की संभावना है। शादी-विवाह का सीजन होने से बिक्री पहले ही अच्छी बनी हुई है, लेकिन आरबीआई की घोषणा के बाद बिक्री में और बढ़ोतरी होना काफी अहम है, क्योंकि खुदरा आभूषण विक्रेताओं का कारोबार पिछले 18 महीनों से कमजोर बना हुआ है। विशेष रूप से वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाने और आरबीआई के 80:20 की योजना लागू करने के बाद बिक्री कम हो गई थी। इस योजना के तहत आयातित सोने का 20 फीसदी हिस्सा निर्यातकों को उपलब्ध कराना अनिवार्य है। सोने की कम उपलब्धता से सोने की गढ़ाई कम हो गई थी। मुंबई के जवेरी बाजार में प्रमुख खुदरा आभूषण विक्रेता उमेदमल तिलकचंदजी जवेरी के निदेशक कुमार जैन ने कहा, 'बैंकों में 2005 से पहले के नोट सीधे नए नोटों मे बदले जा रहे हैं। इसलिए इन्हें लेने में कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन ऐसा लगता है कि आभूषण क्षेत्र में कालाधन आने लगा है, क्योंकि वैवाहिक सीजन की भारी मांग के अलावा बिक्री में 10-15 फीसदी की असामान्य बढ़ोतरी हुई है।' खरीदार 5 लाख रुपये से ज्यादा का एक बिल लेने से बच रहे हैं, क्योंकि इससे उन पर आयकर विभाग की नजर टिक जाएगी। 5 लाख रुपये से ज्यादा के आभूषण खरीदने पर स्थायी खाता संख्या (पैन) दिखाने की जरूरत होती है। एक आभूषण कंपनी के अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'इसलिए एक ग्राहक ही अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर कई बिल लेता है। लेकिन वे चाहते हैं कि उनका बिल 5 लाख रुपये से नीचे रहे, जिसमें कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन हम आयकर विभाग द्वारा किसी बिल की मांगी गई जानकारी के लिए उपलब्ध उपलबध विवरण मुहैया कराते हैं।' मुंबई के जवेरी बाजार में संगठित और असंगठित क्षेत्र के खुदरा आभूषण स्टोरों में ग्राहकों की आवक बढ़ी है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर वास्तविक खरीदार हैं और खरीदारी कर रहे हैं। 2005 से पहले के नोट लेकर भारी तादाद में ग्राहक आने शुरू हो गए हैं और 31 मार्च की अंतिम तिथि के नजदीक आने पर इसमें बढ़ोतरी होने की संभावना है। जैन ने कहा, 'इस समय ज्वैैलरों द्वारा ऐसे नोट स्वीकार करने के लिए कोई ऑफर नहीं दिया जा रहा है। लेकिन हम इस बात की संभावना से इनकार नहीं करते कि मार्च के अंत तक कटौती 15 फीसदी तक पहुंच सकती है।' इस बीच इस कारोबार के अन्य बहुत से ज्वैलरों ने विश्वस्त और लंबे समय से जुड़े हुए खरीदारों से भी 2005 से पहले के नोट लेना बंद कर दिया है, ताकि अनावश्यक दिक्कतों को टाला जा सके। एक ज्वैलर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'जोखिम लेने के बजाय सुरक्षित कदम उठाना बेहतर है।' पुण्य गोल्ड के निदेशक मुकेश मेहता के मुताबिक, 'हालांकि आभूषणों की बिक्री बढ़ी है, लेकिन इसका श्रेय 2005 से पहले के नोटों को देना मुश्किल है।' (BS Hindi)

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