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07 फ़रवरी 2014

एक्सचेंज में हिस्सेदार कर सकेंगे कारोबार!

वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) एक्सचेंज में हिस्सेदारी रखने वाले ब्रोकरों के कारोबार करने पर लगे हुए प्रतिबंधों में ढील देने पर विचार कर रहा है। नियामक के इस कदम से उन ब्रोकरों को ट्रेडिंग शुरू करने में मदद मिलेगी, जिनकी एक्सचेंज में बहुत कम या नगण्य हिस्सेदारी है। जिंस वायदा बाजार में कारोबार की मात्रा को फिर से बढ़ाने के लिए नियामक द्वारा किए जा रहे विभिन्न उपायों में से यह एक उपाय होगा। नई दिल्ली में आज एसोचैम के एक सम्मेलन में एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा, 'वर्तमान नियम एक्सचेंज में हिस्सेदारी रखने वाले ब्रोकरों को कारोबार की इजाजत नहीं देते हैं, चाहे यह हिस्सेदारी अन्य एक्सचेंज में हो।' उन्होंने कहा, 'हम इन्हें बदलने के लिए सरकार के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं। हमारा मानना है कि करीब 2 फीसदी तक हिस्सेदारी रखने वाले ब्रोकरों को कारोबार की इजाजत दी जा सकती है, बशर्ते कि वे प्रबंधन या बोर्ड में शामिल न हों।' अभिषेक ने कहा, 'इससे एक्सचेंजों में भागीदारी बढ़ेगी और इसकी प्रक्रिया चल रही है।' वर्तमान में जिंस एक्सचेंज का कोई भी हिस्सेदार उस एक्सचेंज में कारोबार नहीं कर सकता, जिसमें उसकी हिस्सेदारी है। एमसीएक्स के सार्वजनिक निर्गम के समय इसमें 1 फीसदी से कम हिस्सेदारी रखने वाले ब्रोकरों को इस पर कारोबार करने की इजाजत दी गई थी, लेकिन आईपीओ की वजह से एमसीएक्स को यह विशेष छूट दी गई थी। अब नियामक यह नियम बनाने पर विचार कर रहा है कि 2 फीसदी से कम हिस्सेदारी वाले ब्रोकर को कारोबार की इजाजत दी जाए। इसके दायरे में देशभर के सभी जिंस डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज आएंगे। हालांकि इसका सबसे ज्यादा फायदा जेपी कैपिटल को मिलेगा। गौरव अरोड़ा की अगुआई वाली जेपी कैपिटल 2009-10 में एनसीडीईएक्स में 22 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने से पहले सभी एक्सचेंज डेरिवेटिव्ज को करोबार देने वाली प्रमुख कंपनी थी। हालांकि अरोड़ा ने अब अपनी हिस्सेदारी घटाकर 2 फीसदी से कम कर दी है और वह पहले की तरह फिर से मार्केट मेकिंग (खरीद और बिक्री) शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इससे पहले एक्सचेंज पर कारोबार होने वाले मुद्रा डेरिवेटिव्ज, एनएसई शेयर डेरिवेटिव्ज और एमसीएक्स जिसों में 10-15 कारोबारी मात्रा उनकी ओर से निकल रही थी। हालांकि वर्तमान माहौल में मार्केट मेकिंग मुश्किल काम है। जिंसों पर सीटीटी और करेंसी डेरिवेटिव्ज पर आरबीआई के प्रतिबंध लगाने से जिंस वायदा और मुद्रा डेरिवेटिव सेगमेंट में कारोबारी मात्रा कम हुई है। एफएमसी के मुखिया ने कहा कि आयोग सेटलमेंट गारंटी फंड और कारोबारी मार्जिन पर भी दिशानिर्देशों की घोषणा कर सकता है। इससे पहले एफएमसी ने सेटलमेंट गारंटी फंड में धन के हस्तांतरण के नियमों की घोषणा की थी, जिनका एक्सचेंज पालन करने लगे हैं। हालांकि अब इसके निवेश और फंड के इस्तेमाल पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। एफएमसी ने मार्क टू मार्केट (बाजार निर्धारित) मार्जिन के भुगतान में एक्सचेंज और सदस्यों को होने वाली व्यावहारिक दिक्कतों पर भी चर्चा की। शेयर बाजार से इतर जिंस डेरिवेटिव्ज कारोबार रात में 11.30 बजे तक चालू रहता है और देर रात होने वाले कारोबार के दौरान कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आम बात है, इसलिए अगले दिन सुबह सदस्यों को सबसे पहले अतिरिक्त मार्जिन देना पड़ता है। उद्योग का मानना है कि इसके लिए उन्हें और ज्यादा समय दिया जा सकता है। वायदा बाजार आयोग के अगले महीने तक नए उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू करने की संभावना है। ये नियम वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) द्वारा सुझाए गए थे। एफएमसी चेयरमैन ने कहा, 'हम इन्हें इस साल मार्च तक लागू करेंगे।' उन्होंने कहा, 'हमने लोगों के सुझावों के लिए प्रारूप सर्कुलर जारी किया है। इस पर आने वाले सुझावों पर विचार करने के बाद हम नियम तय करेंगे। ग्राहक और सदस्यों के बीच होने वाले समझौते में खंड शामिल किए जाएंगे। इन्हें केवाईसी दस्तावेजों का हिस्सा बनाया जाएगा।' (BS Hindi)

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