कुल पेज दृश्य

24 फ़रवरी 2014

बढ़ेगा रत्नाभूषणों का निर्यात

अमेरिका और चीन की अर्थव्यवस्थाओं में सुधार के संकेतों से भारत के हीरे के आभूषणों का निर्यात आगामी महीनों में बढऩे की संभावना है। दुनियाभर में होने वाली आभूषणों की खपत में अमेरिका और चीन का हिस्सा दो-तिहाई होता है। चालू वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में रत्नाभूषणों का निर्यात 8.70 फीसदी गिरकर 2,507.59 करोड़ डॉलर (1,50,256.57 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि में 2,746.47 करोड़ डॉलर (1,49,955.27 करोड़ रुपये) था। डी बीयर्स की पैतृक कंपनी एंगलो अमेरिकन के मुख्य कार्याधिकारी मार्क कुटिफानी ने हाल में कंपनी के नतीजे पेश करते हुए कहा, 'हमें 2014 में हीरे के आभूषणों की मांग में थोड़ी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, क्योंकि वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। तराशे हीरों की मांग अमेरिका और चीन में सबसे ज्यादा बनी रहने की संभावना है। अन्य बाजारों में भी वृद्धि का अनुमान है।' रत्नाभूषणों की वैश्विक मांग में कमजोरी पिछले साल अगस्त से दिसंबर तक बनी रही। यह ऐसा दौर था जब विनसम डायमंड को 6,000 करोड़ रुपये का ऋण न चुकाने के कारण डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया था। बैंकों ने हीरे के आभूषण क्षेत्र को संदेह की नजर से देखना शुरू कर दिया और उसे ऋण देना रोक दिया। इसके अलावा ऋण की वसूली के लिए इस क्षेत्र पर दबाव बनाया, जिससे हीरा प्रसंस्करणकर्ताओं की कार्यशील पूंजी में भारी कमी आई है। वहीं इन्वेंट्री (भंडार) बढ़कर 90 दिन की खपत जितनी हो गई, जबकि आमतौर पर इन्वेंट्री 30 दिन की खपत जितनी होती है। इससे भी हीरे के आभूषण निर्यातकों पर बोझ बढ़ा। रत्नाभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) के चेयरमैन विपुल शाह ने कहा, 'पिछले साल अगस्त में यह स्थिति थी। लेकिन अब अचानक स्थितियां बदल गई हैं। बैंकों ने हीरा प्रसंस्करण क्षेत्र को सकारात्मक परिदृश्य के रूप में देखना शुरू कर दिया है। वास्तविकता यह है कि कुछ बैंकों ने तो अच्छे साख वाली कंपनियों से ऋण के लिए संपर्क करना शुरू कर दिया है, इसलिए कार्यशील पूंजी अब कोई मसला नहीं रह गया है।' डी बीयर्स ने भी हीरे के आभूषणों की मांग, विशेष रूप से अमेरिका और चीन में अच्छी रहने का अनुमान जाहिर किया है। डी बीयर्स का कच्चे हीरों का उत्पादन 2013 में 12 फीसदी बढ़कर 3.12 करोड़ कैरेट रहा, जो इससे पिछले साल 2.79 करोड़ कैरेट था। हालांकि इन्वेंट्री की आपूर्ति कम रहने के कारण भारत में कच्चे और तराशे हुए हीरे की कीमतें जनवरी से 3-5 फीसदी बढ़ चुकी हैं। (BS Hindi)

कोई टिप्पणी नहीं: