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22 फ़रवरी 2014

दालों का वायदा शुरू करने की तैयारी

जिंस बाजार नियामक वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद कृषि उत्पादों पर केंद्रित नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) एक हफ्ते से 10 दिनों के भीतर अरहर, उड़द और चावल के वायदा कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए अनुमति के वास्ते आवेदन देने की योजना बना रहा है। एसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक समीर शाह ने कहा, 'हम एक हफ्ते से 10 दिनों के भीतर ही वायदा सौदा कारोबार की अनुमति के लिए आवेदन करने की योजना बना रहे हैं।Ó खास बात यह है कि पणजी में गुरुवार को एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा था कि नियामक अरहर, उड़द और चावल का वायदा कारोबार जल्दी ही शुरू करने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहा है। वर्ष 2006-07 में दालों की कीमतें आसमान छूने लगीं, आपूर्ति की कमी की वजह से कीमतों में जबरदस्त इजाफा हो गया और आलोचक इसके लिए वायदा कारोबार को जिम्मेदार ठहराने लगे। इसके बाद एफएमसी ने इन जिंसों के वायदा कारोबार पर वर्ष 2007 में प्रतिबंध लगा दिया। इसके साथ ही सरकार ने योजना आयोग के सदस्य अभिजीत सेन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित की। सेन समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी का वायदा कारोबार से कोई संबंध नहीं है। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक किसी भी जिंस की कीमतों का संबंध उस जिंस की मांग और आपूर्ति से है इसलिए कीमतों में इजाफे के लिए वायदा कारोबार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। पिछले छह सालों के दौरान बेहतर विनियामक और जांच की बेहतर सुविधाओं की वजह से नियमन में काफी व्यापक सुधार हुआ है। शहर की एक जिंस कारोबार फर्म एमके कॉमोट्रेड के सीईओ अशोक मित्तल का कहना है, 'दालों में वायदा कारोबार शुरू करने की मांग जिंस कारोबारियों की ओर से की जा रही है। प्रतिबंध के पहले एनसीडीईएक्स में होने वाले सबसे लोकप्रिय कारोबारों में से दालों का वायदा कारोबार भी एक था। इस क्षेत्र में कारोबार के लिहाज से काफी बेहतरीन संभावनाएं हैं क्योंकि भारत में इन खाद्यान्नों का आयात बड़ी मात्रा में होता है ऐसे में इसके संग्रह की भी खासी जरूरत है। स्थानीय स्तर पर भी दालों का कारोबार काफी बेहतर होता है।Ó एनसीडीईएक्स फिलहाल करार के मसौदे पर काम कर रहा है जो कुछ ही समय में तैयार हो जाएगा। एक आधिकारिक सूत्र के मुताबिक एक्सचेंज पहले भी इस प्रस्ताव के साथ एफएमसी से गुहार लगा चुका है। मित्तल ने कहा, 'पिछले छह सालों के दौरान एफएमसी ने कमियों को दूर करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठाए हैं। इसलिए दालों का वायदा कारोबार सबसे सफलतम करारों में से एक हो सकता है।Ó भारत हर साल ऑस्ट्रेलिया, म्यांमार और अन्य क्षेत्रों से करीब 30 लाख टन दालों का आयात करता है। एमसीएक्स जैसे अन्य एक्सचेंज भी जल्दी ही इस दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। (BS Hindi)

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