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07 फ़रवरी 2014

कमोडिटी निवेशकों को सीटीटी के साथ ट्रेडिंग की आदत डालनी होगी

कैसे बढ़ेगा वायदा कारोबार एक्सचेंजों के शेयरधारक ब्रोकरों को भी कारोबार करने की अनुमति मिलेगी एफआईआई और म्यूचुअल फंडों को वायदा कारोबार की अनुमति दी जाएगी ऑप्शन जैसे नए प्रोडक्ट लांच के लिए एफसीआरए के संशोधन जरूरी निवेशकों की सुरक्षा के लिए सिफारिशें मार्च तक लागू करने की योजना छोटे निवेशकों के लिए छोटे कांट्रेक्ट व डिलीवरी सेंटर के हिसाब से कांट्रेक्ट पोजीशन लिमिट, शुरूआती मार्जिन व वेयरहाउसिंग सुविधाओं पर भी गौर कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी) लगने के बाद फ्यूचर ट्रेडिंग में भारी गिरावट आने के बीच फॉरवर्ड मार्केट्स कमीशन (एफएमसी) ने स्पष्ट किया है कि निवेशकों को सीटीटी के साथ ही सौदे करने की आदत डालनी होगी। सीटीटी हटाने के बारे में कोई विचार नहीं है। हालांकि निवेशकों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई सुधार किए जा रहे हैं। पिछले जुलाई 2013 के दौरान फ्यूचर एक्सचेंजों में नॉन-एग्रीकल्चर कमोडिटी पर 0.01 फीसदी की दर से सीटीटी लगाया गया था। दूसरे शब्दों में कहें तो कमोडिटी एक्सचेंज में अगर सौदे का मूल्य 10,000 रुपये है तो एक रुपया सीटीटी के तौर पर लगाने का प्रावधान है। देश में पांच राष्ट्रीय और 12 क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंजों में कामकाज हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से 15 जनवरी तक सभी एक्सचेंजों का संयुक्त कारोबार 37 फीसदी घटकर 85.28 लाख करोड़ रुपये रह गया। एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने उद्योग संगठन एसोचैम के एक कार्यक्रम में कहा कि तमाम कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार कम रहने के कई कारण हैं। सीटीटी ऐसा पहलू है, जिसके साथ कारोबार करने की निवेशकों को आदत डालनी होगी। लेकिन हमें यह देखना चाहिए कि ऐसे और क्या उपाय हो सकते हैं, जिससे कमोडिटी एक्सचेंजों में कारोबार सुधरे। उन्होंने विश्वास जताया कि एक्सचेंजों में कारोबार फिर से बढ़ जाएगा क्योंकि विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए एफएमसी कई कदम उठाने जा रहा है। कमोडिटी एक्सचेंजों में बेहतर गवर्नेंस से भी कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। वित्त मंत्रालय में सलाहकार के. जी. नायर ने कहा कि कारोबार अनायास नहीं बढ़ाया जा सकता है। हमें पहले कॉरपोरेट गवर्नेंस और सदाचार से संस्था का निर्माण करना होगा। दुर्भाग्य से बाजार का विकास ज्यादा तेजी से हुआ और रेगुलेटर यानि एफएमसी को मजबूत नहीं बनाया जा सका। एफएमसी प्रमुख ने इससे पहले एक्सचेंजों में भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रस्तावित सुधारों की चर्चा करते हुए कहा कि एक्सचेंजों में कारोबार करने के लिए ब्रोकरों के नियमों में ढील दी जाएगी। ऐसे ब्रोकरों को कारोबार करने की अनुमति दी जाएगी, जिनके पास उस एक्सचेंज की इक्विटी है। उन्होंने कहा कि इस समय एक्सचेंज में इक्विटी रखने वाले ब्रोकरों को कारोबार करने की अनुमति नहीं हैं। हम सरकार से सिफारिश करने जा रहे हैं कि जिन ब्रोकरों के पास अधिकतम दो फीसदी इक्विटी है, उन्हें कारोबार करने की अनुमति दी जाए, बशर्ते एक्सचेंज के निदेशक मंडल में उस ब्रोकर की कोई भूमिका न हो। विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और म्यूचुअल फंडों को वायदा कारोबार की अनुमति दिए जाने के सवाल पर अभिषेक ने कहा कि फॉरवर्ड कांट्रेक्ट रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) अभी भी उन्हें नहीं रोकता है। इस पर नियामकों को फैसला करना है। एफसीआरए में संशोधन की प्रतीक्षा किए बगैर ही यह किया जा सकता है। लेकिन ऑप्शन जैसे नए प्रोडक्ट लांच करने के लिए लंबे समय से लटके एफसीआरए के संशोधन विधेयक के पारित होने की आवश्यकता है। मौजूदा शीतकालीन सत्र में यह संशोधन विधेयक पेश होने की संभावना है। बाजार में निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए एफएमसी प्रमुख ने कहा कि फाइनेंशियल सेक्टर लेजिस्लेटिव रिफॉम्र्स कमीशन (एफएसएलआरसी) की सिफारिशों को लागू करने की योजना बनाई गई है। मार्च के अंत तक ये सिफारिशें लागू होने से निवेशकों की सुरक्षा बढ़ेगी। छोटे निवेशकों को प्रोत्साहन देने के सवाल पर एफएमसी ने कहा कि एक्सचेंजों को छोटे कांट्रेक्ट और डिलीवरी सेंटर के हिसाब से कांट्रेक्ट लांच करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। पोजीशन लिमिट, शुरूआती मार्जिन, सेटलमेंट गारंटी फंड के कोरपस साइज और वेयरहाउसिंग सुविधाएं बढ़ाने पर भी गौर किया जा रहा है। (Business Bhaskar)

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