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26 मार्च 2014

जीएम फसलों के परीक्षण के लिए राज्य अब भी नहीं तैयार

जीन अभियांत्रिकी स्वीकृति समिति (जीईएसी) ने 11 फसलों की प्रायोगिक खेती को पिछले हफ्ते मंजूरी दे दी, लेकिन अभी यह पहला पड़ाव ही है। इसके आगे और भी रुकावटें हैं। असली दिक्कत यह है कि खेतों में फसलों का परीक्षण राज्य सरकारों की रजामंदी के बगैर शुरू नहीं हो सकता है और ज्यादातर राज्य जीन संवद्र्घित फसलों के परीक्षण के वास्ते तैयार नहीं दिख रहे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड के एक सर्वेक्षण में पता चला है कि ज्यादातर राज्य इन फसलों के परीक्षण की इजाजत नहीं देना चाहते और कुछ अन्य राज्य इसकी सशर्त अनुमति देने के पक्ष में हैं। कुछ राज्य ऐसे भी हैंं, जो न तो इनकार कर रहे हैं और न ही इसके लिए हामी भर रहे हैं। वे चुनाव होने के बाद ही फैसला करना चाहते हैं। हालांकि सरकार के लिए राहत की बात यह है कि खेती-बाड़ी के लिहाज से दो बड़े राज्य महाराष्टï्र और पंजाब जीएम फसलों की प्रायोगिक खेती के लिए तैयार हैं। जीईएसी अधिकारियों ने बताया कि मक्का, सरसों और चावल सहित कुछ अन्य फसलों की प्रायोगिक खेती की अनुमति दी गई है, लेकिन जिन राज्यों में इनकी ज्यादा खेती होती है, वे प्रायोगिक परीक्षण के लिए तैयार ही नहीं हैं। हालांकि अधिकारी कह रहे हैं कि खाद्यान्न, सब्जियों और तिलहन की मांग लगातार बढ़ रही है और इन परिस्थितियों में जीएम फसलें बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं। अधिकारियों ने कहा कि इनसे उत्पादन में खासा इजाफा होगा। हालांकि इन फसलों के इस्तेमाल से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं की आशंका जताई जा रही है। दूसरे देशों में भी इस तरह की आशंका जताई जा रही है। कुछ साल पहले भारत ने जीएम फसलों की प्रायोगिक खेती रोक दी थी। हालांकि पिछले सप्ताह जीईएसी से 11 फसलों को अनुमति मिलने के बाद इस मुद्दे ने एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने जुलाई 2011 में कंपनियों, संस्थानों और शोध इकाइयों के लिए उन राज्यों की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था, जहां वे जीएम फसलों की प्रायोगिक खेती करना चाहते हैं। जीईएसी विश्लेषकों ने स्थानों का विश्लेषण किया जहां विभिन्न मानदंडों पर प्रायोगिक खेती का प्रस्ताव दिया गया है। उत्तर प्रदेश और ओडिशा जीएम फसलों का सशर्त समर्थन करते हैं। उत्तर प्रदेश बीटी कपास के पक्ष में है, लेकिन उपभोग की जाने वाली फसलों के लिए जीएम बीजों के यह खिलाफ है। ओडिशा का कहना है कि वह जीएम फसलों की प्रायोगिक खेती की अनुमति दे सकता है, लेकिन जीएम बीजों पर किसानों के अधिकार पर भी विचार करना होगा। दिलचस्प बात है कि आंध्र प्रदेश में कई बीज कंपनियां सक्रिय हैं और बीटी कॉटन सबसे पहले इसी राज्य में लाया गया था। लेकिन अब तेलंगाना में नई सरकार बनने तक इंतजार करना होगा। एक तकनीकी समिति पहले ही इस विषय पर अध्ययन कर रही है। गुजरात और कर्नाटक ने अब तक आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन वे इस मुद्दे पर कोई फैसला लेने से पहले चुनाव संपन्न होने तक इंतजार करना चाहते हैं। दक्षिण के कुछ अन्य बड़े राज्यों तमिलनाडु और केरल पूरी तरह जीएम फसलों के खिलाफ हैं और इनकी प्रायोगिक खेती की अनुमति नहीं दे रहे हैं। मध्य प्रदेश भी नीतिगत तौर पर प्रायोगिक खेती का विरोध कर रहा है। छत्तीसगढ़ इस मुद्दे पर तटस्थ है। (Business Bhaskar)

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