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18 मार्च 2014

चुनाव बाद आएगा तुअर एवं उड़द वायदा

देश के कई हिस्सों में बेमौसम बारिश के कारण दलहन उत्पादन पर असर पडऩे की आशंका है। लेकिन कारोबारियों को उम्मीद है कि यह साल दलहन उद्योग के लिए बेहतर रेहगा। वैश्विक कारोबार में भारत की बढ़ती हिस्सेदारी की वजह से उनको लगता है कि चुनाव के बाद देश में तुअर और उड़द का वायदा शुरू हो सकता है। वायदा बाजार आयोग ने भी कुछ ऐसा इशारा किया है। रिकॉर्ड उत्पादन की आस पर बारिश भारी पड़ी है। इस कारण चने सहित अन्य दालों की कीमतों बढ़ रही हैं। मगर कारोबारियों का कहना है कि यह साल दलहन उद्योग के लिए अच्छा रह सकता है। इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन्स एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन प्रवीण डोंगरे कहते हैं कि हाल में पल्सेस कॉन्क्लेव 2014 हुआ है। तीन दिन के इस सम्मेलन में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हुआ और 20 देशों के 800 से ज्यादा कारोबारी आए। डोंगरे के मुताबिक भारत वैश्विक दलहन उद्योग का केंद्र है। ऐसे में दलहन की सभी फसलों का वायदा कारोबार शुरु होना चाहिए। दलहन कारोबारी लंबे समय से इसकी कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल चुनाव तक इंतजार करना होगा। वायदा बाजार आयोग के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने हाल में कहा था कि आयोग तुअर, उड़द और चावल के वायदा कारोबार से पाबंदी हटाने की सोच रहा है। आईपीजीए के वाइस चेयरमैन विमल कोठारी कहते हैं कि इस साल भी दलहन की कीमतें स्थिर रहेंगी। उनके अनुसार वर्ष 2010 से 2014 के बीच देश में दलहन फसलों का उत्पादन 37 फीसदी बढ़ा है जबकि वैश्विक आधार पर दलहन फसलों का उत्पादन थोड़ा घटा है। केंद्र के दूसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक वर्ष 2013-14 में खाद्यान्न उत्पादन 2.3 फीसदी बढ़कर 26.32 करोड़ टन रिकॉर्ड होने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013-14 में दलहन की पैदावार बढ़कर 197.7 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष 2012-13 में 183.4 लाख टन पैदावार हुई थी। चने की रिकॉर्ड 97.9 लाख टन पैदावार होने का अनुमान है। अरहर की भी पैदावार रिकॉर्ड 33.4 लाख टन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। (BS Hindi)

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