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18 फ़रवरी 2015

रबर उत्पादन 32 फीसदी घटा

आने वाले दिनों में देश को प्राकृतिक रबर की आपूर्ति की कमी से जूझना पड़ सकता है, जनवरी 2015 के उत्पादन के आंकड़ों के मुताबिक इसमें 32.6 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। पिछले कुछ सालों के दौरान एक महीने में दर्ज की गई यह सबसे बड़ी गिरावट है और कमजोर सीजन की शुरुआत होने वाली है ऐसे में देसी बाजार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आपूर्ति की कमी को पूरा करने के लिए एकमात्र चारा आयात करना है क्योंकि मौजूदा समय में मांग-आपूर्ति का अंतर करीब 30,000 टन है जो मार्च तक बढ़कर 40,000 टन तक हो सकता है। 

जनवरी में मासिक उत्पादन 60,000 टन था जबकि जनवरी, 2014 में मासिक उत्पादन 89,000 टन था। इस वित्त वर्ष में उत्पादन में आई गिरावट का काफी व्यापक असर पड़ सकता है क्योंकि अप्रैल 2014 में महज 3.8 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। उत्पादन में भारी गिरावट के प्रमुख कारणों में एक अहम कारण यह था कि केरल सहित सभी प्रमुख इलाकों में उत्पादकों ने अन्य फसलों का रुख किया। मौजूदा रुझान के मुताबिक वर्ष 2014-15 के दौरान कुल उत्पादन 6,50,000 टन रहने की उम्मीद है। वर्ष 2013-14 के दौरान कुल उत्पादन 8,44,000 टन रहने की उम्मीद है और पिछले साल यह उत्पादन 9,13,700 टन रहा था।  

रबर बोर्ड के पुर्वानुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में उत्पादन 8,00,000 टन रहने की उम्मीद थी। लेकिन वास्तविक आंकड़ा 6,50,000 टन तक रहने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसी परिस्थिति में आयात पर देश की निर्भरता और भी बढ़ सकती है क्योंकि उपभोग हर महीने बढ़ता जा रहा है। जनवरी, 2015 में उपभोग महज 0.6 फीसदी बढ़कर 84,000 टन रहा। ऐसे में भविष्य में देश को प्राकृतिक रबर की कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि केरल में बुआई में कमी देखने को मिल रही है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल-जनवरी के बीच आयात 14 फीसदी बढ़कर 3,59,857 टन हो गया जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के दौरान आयात 3,15,049 टन रहा था। इस साल कुल आयात 4,00,000 टन से भी पार जाने की उम्मीद है जो सर्वाधिक होगा। रबर बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2013-14 में कुल आयात 3,25,190 टन था। उत्पादन के हालिया रुझानों के मुताबिक भारत में इस वित्त वर्ष में कुल 10 लाख टन प्राकृतिक रबर की खपत होने की उम्मीद है। इसका स्पष्टï मतलब है कि भारत की करीब 40 फीसदी जरूरत आयात के जरिये पूरी होती है जो रबर उत्पादकों के लिहाज से एक चिंताजनक स्थिति है। आयात पर अत्यधिक निर्भरता से स्थानीय कारोबार और उत्पादन में संकट और भी गहराएगा। जानकारों का मानना है कि आने वाले समय में भारत उत्पादन के लिहाज से थाईलैंड, इंडोनेशिया, वियतनाम और मलेशिया से भी पिछड़कर पांचवे या छठे स्थान पर आ सकता है।( BS Hindi)

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